- जांच से इलाज तक की होगी मॉनीटरिंग

- स्टेट काउंसिल के साथ जिला स्तर पर प्राधिकरण करेंगे पंजीकरण

- हर मरीज का पूरा ब्यौरा रखना होगा जरूरी

- सीएमओ रोकेंगे झोलाछाप, तय समय में मिलेगा अस्पताल का पंजीकरण

LUCKNOW: प्रदेश में मरीजों की जांच से इलाज तक पूरी ऑनलाइन नजर रखने की तैयारी है। इसके लिए स्टेट काउंसिल की स्थापना के साथ ही जिला स्तर पर प्राधिकरणों का गठन किया जाएगा। जिनके माध्यम से सभी चिकित्सकीय प्रतिष्ठानों का पंजीकरण होगा, जिन्हें हर मरीज का पूरा ब्यौरा रखने के साथ मासिक रिपोर्ट भी भेजनी होगी।

सीएमओ लगाएंगे अंकुश

झोलाछाप पर अंकुश के लिए उच्च न्यायालय के आदेश पर चिकित्सकों व अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों के पंजीकरण का जिम्मा सीएमओ को सौंपा गया है। वे अभी अपने यहां आने वाले आवेदनों के आधार पर पंजीकरण करते हैं, लेकिन इसकी कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सहित चिकित्सकों की संस्थाएं भी पंजीकरण के लिए नियामक व पारदर्शी प्रक्रिया लागू करने की मांग कर रही थीं। इसीलिए प्रदेश सरकार ने भारत सरकार द्वारा 2012 में चिकित्सकों के पंजीकरण व नियमन के लिए अधिसूचित नियमों को अंगीकार कर 'उत्तर प्रदेश क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) रूल्स 2016' को अंतिम रूप दिया है। बीती 12 जुलाई को इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गयी है।

ऑनलाइन जुड़ेंगे हॉस्पिटल

अब उत्तर प्रदेश के सभी चिकित्सकीय प्रतिष्ठान राष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफार्म क्लीनिकइस्टेब्लिशमेंटडॉटएनआइसीडॉटइन से जुड़ जाएंगे। इसके अंतर्गत चिकित्सा प्रतिष्ठान इस प्लेटफार्म पर ऑनलाइन आवेदन करेंगे। इसके यूजर आइडी व पासवर्ड जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के पास होंगे। आवेदन आने के दस दिन के भीतर सीएमओ को हर हाल में प्रोवीजनल पंजीकरण प्रमाण पत्र देना होगा। यह प्रोवीजनल पंजीकरण एक साल के लिए लागू होगा और अधिकतम एक बार ही पुन: एक साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा। इन दो साल में पंजीकरण व प्रैक्टिस के लिए जरूरी मापदंड पूरे होने पर स्थायी पंजीकरण होगा, जो पांच साल तक चलेगा। पंजीकरण प्रक्रिया के लिए जिला स्तर पर पंजीकरण प्राधिकरण गठित होगा, जिसमें सीएमओ, पुलिस प्रमुख, स्थानीय निकाय प्रमुख व चिकित्सा से जुड़ी प्रमुख संस्था के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाया जाएगा। सभी प्राधिकरणों के ऊपर स्टेट काउंसिल फॉर क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट की स्थापना की जाएगी, जिसके अध्यक्ष प्रदेश के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) होंगे। स्वास्थ्य महानिदेशक इसके सदस्य सचिव होंगे, वहीं आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथ सहित विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के निदेशक इस काउंसिल के सदस्य होंगे। पंजीकरण कराने वाले सभी प्रतिष्ठानों को मरीजों व उनके इलाज का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन सहेजने के साथ प्राधिकरण के माध्यम से काउंसिल के मासिक रिपोर्ट भी भेजनी होगी।

योग के लिए भी पंजीकरण

अधिसूचना के अनुसार एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक, यूनानी व सिद्धा चिकित्सा पद्धतियों के साथ योग व प्राकृतिक चिकित्सा सेवाएं देने वाले प्रतिष्ठानों को भी पंजीकरण कराना होगा। डेंटल क्लीनिक व डिस्पसेंरी से लेकर फिजियोथेरेपी व पैथोलॉजी संग्रह केंद्रों तक के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।