- नगर निगम में बर्थ सर्टिफिकेट बनाने को दिन भर लगी रही भीड़

- अभी लोगों को नहीं है ऑनलाइन की जानकारी

- तीन वर्ष में 1 लाख 48 हजार से ज्यादा बर्थ सर्टिफिकेट किए गए जारी

आगरा। नगर निगम में बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट को ऑनलाइन करने का कोई भी फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है। सोमवार को नगर निगम में बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने को नगर निगम स्थित रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु कार्यालय के दोनों कक्षों में लाइन लगी रही। लोग कक्ष संख्या 302 में अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। बता दें कि इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। लेकिन व्यवस्था को पूर्ण रुप से पारदर्शी नहीं बनाया गया है।

मै अहमदाबाद से आया हूं, देख लो मैडम

मै अहमदाबाद से आया हूं। मैडम देख लो, अरे भाई तुम वहां जाकर पता करो। उन्हें बर्थ डेट बताओ। सर मेरी पत्‍‌नी की डेथ ऑफ बर्थ हाईस्कूल की मार्कशीट में ये है, जबकि नगर निगम के बर्थ सर्टिफिकेट में कुछ और है, इसमें संशोधन करवाना है। आप मैडम से मिलिए। कुछ देर बाद मैडम के पास से वापस दूसरी सीट पर पहुंचकर सर कमल कौन है। ये आपको नीचे पार्किंग में मिलेंग। उनसे मिलो। मैडम हमें कब आना है। आप 11 से दो बजे के बीच आइए। उसके बाद काम नहीं हो पाएगा। लाइए दो की सर्टिफिकेट की 80 रुपये फीस दो। ये किसी फिल्म के डायलॉग नहीं हैं, बल्कि सोमवार को नगर निगम स्थित बर्थ-डेथ सर्र्टिफिकेट ऑफिस में देखनो को मिलीं। इस दौरान लोगों की भीड़ जुटी रही।

आवेदक को नहीं मिल रही रसीद

नगर निगम में बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आवेदकों को रसीद नहीं दी जा रही है। उनके दस्तावजों में स्टाम्प लगाकर उन्हें चलता किया जा रहा है। एक सर्टिफिकेट के लिए 40 रुपये लिए जा रहे हैं। बता दें कि गत वर्ष ऑडिट रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया गया था कि बर्थ-डेथ रजिस्ट्रेशन ऑफिस में रसीद नहीं दी जा रही है। इसको लेकर ऑडिट में आपत्ति उठाई गई थी, इसके बावजूद भी अभी तक कोई रसीद नहीं दी जा रही है। सोमवार को प्रभारी डॉ। वीके सिघंल का कक्ष खाली पड़ा हुआ था। ऐसे में लोगों को ये जानकारी ही नहीं कि वास्तविक फीस कितनी है।

ये है आवेदन की प्रक्रिया

बर्थ-डेथ का सर्टिफिकेट लेने के लिए दो प्रकार के प्रपत्र भरने पड़ते हैं। इसमें प्रपत्र-1 बर्थ के लिए और प्रपत्र-2 डेथ सर्टिफिकेट के लिए भरना पड़ता है। इसके साथ आधार कार्ड, अन्डरटेकिंग ब्यौरा भरकर शुल्क के साथ जमा किया जाता है। फिर इलाके इंस्पेक्टर से भौतिक सत्यापन कराया जाता है। इंस्पेक्टर इलाके सुपरवाइजर से जांच करवाकर अपनी रिपोर्ट देता है। ऐसा विवादास्पद और संदिग्ध मामलों में कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन आमतौर पर सभी के साथ ये प्रक्रिया अपनाई जाती है। नियमानुसार ये प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता।

हॉस्पिटल को दिए गए हैं लॉगिन आईडी

शहर में जो हॉस्पिटल नगर निगम से लाइसेंस लिए हुए हैं। उनको बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट ऑफिस से लॉगिन-आईडी दी गई है। ये बर्थ के बाद पूरा डाटा अपने यहां फीड करेंगे। इसके बाद नगर निगम को भेजेंगे। यहां से आवेदक को एक ओटीपी दी जाती है। इसके बाद आवेदक विभाग से ओटीपी को बताकर बर्थ सर्टिफिकेट ले सकता है। लेकिन ये प्रक्रिया धरातल पर नहीं उतरी है।

पिछले तीन वर्षो में ताजनगरी में एक लाख 48 हजार 79 न्यू बोर्न बेबी के बर्थ सर्टिफिकेट जारी किए हैं। वहीं इसके सापेक्ष 29 हजार 889 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए। बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद भी जागरुकता न होने के कारण लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। लोग मैनुअल काम रुप से ज्यादा सर्टिफिकेट बनाने में रुचि ले रहे हैं।

वर्ष बर्थ सर्टिफिकेट डेथ सर्टिफिकेट

2017 39,772 9,330

2018 46,712 9,880

2019 61595 10679