छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : जिले में मनरेगा से 5213 डोभा खोदने का लक्ष्य है लेकिन अब तक महज 2702 डोभा ही खोदे जा सके हैं। जिला डोभा खोदने के लक्ष्य से काफी पीछे है। पहले डोभा निर्माण की रफ्तार ठीक थी लेकिन इधर तीन-चार दिन से डोभा निर्माण सुस्त हो गया है। मनरेगा की निगरानी करने वाले आला अधिकारी महज वीडियो कांफ्रेंसिंग करने तक ही सीमित है। जबकि गांवों से भी डोभा निर्माण में अनियमितता की शिकायतें आ रही हैं।

डीडीसी को लिया आड़े हाथ

मुख्य सचिव ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) कर उप विकास आयुक्त को आड़े हाथों लिया। इसके बाद आला अधिकारी खुद को कार्रवाई से बचाने के लिए सारा ठीकरा रोजगार सेवकों और प्रखंड कार्यक्रम अधिकारी पर ही फोड़ने में लगे हैं।

डोभा निर्माण में पोटका, घाटशिला आदि प्रखंड पीछे हैं। काफी कोशिशों के बाद भी इन प्रखंडों में मनरेगा की हालत सुधर नहीं पा रही है। जिले में 2511 डोभा का निर्माण जारी है।

एक हफ्ते में पूरा हो काम

इस पर मुख्य सचिव ने बाकी बचे 2511 डोभा का निर्माण एक हफ्ते में पूरा कर लेने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि सभी जिलों से रिपोर्ट आ रही है कि बीपीओ और रोजगार सेवक डोभा निर्माण में लापरवाही बरत रहे हैं। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब लापरवाही होने पर उन्हें खमियाजा भुगतना ही पड़ेगा। मुख्य सचिव ने लापरवाह बीपीओ की सूची तैयार कर सरकार को भेजने को कहा है। वीसी में इधर से उप विकास आयुक्त के अलावा एनईपी की निदेशक रंजना मिश्रा और डीआरडीए की निदेशक उमा महतो भी थीं।

मजदूरी देने में हो रहा है विलंब

जिले में मनरेगा मजदूरों को मजदूरी कई महीने बाद मिलती है। एफटीओ कई स्तर पर फंसा रहता है। इस मामले में अधिकारी तो सारा दोष डाकखाने पर मढ़ देते हैं लेकिन, सच्चाई इससे जुदा है। मजदूरों की शिकायत है कि वह चक्कर काटते रहते हैं लेकिन उनका मस्टर रोल पूरा नहीं किया जाता। मस्टर रोल अधूरा रहता है। जिले के अधिकारियों को इसका इल्म है लेकिन फिर भी मजदूरों को जल्द मजदूरी मिले इसकी कोशिश नहीं की जा रही है।