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PRAYAGRAJ: इस बार वर्ल्ड ब्लड डोनेशन डे के मौके पर डब्लूएचओ की तरफ से स्लोगन बनाया गया है, 'सेफ ब्लड फॉर ऑल'. जबकि सच्चाई यह है कि प्रति एक हजार में से सिर्फ एक व्यक्ति ब्लड डोनर है. इस आंकड़े पर खुद डब्ल्यूएचओ ने चिंता जाहिर की है. लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए जागरुक करने के लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लेकिन यह मुहिम भी रंग नहीं ला सकी है.
बेकार हो चुकी है प्रशासन की कवायद
पूर्व कमिश्नर राजन शुक्ला स्वयं एक ब्लड डोनर थे. उन्होंने प्रयागराज में सौवीं बार डोनेट किया था. उनकी उपस्थिति में प्रशासन ने एक ब्लड डोनेशन डायरेक्टरी बनाई थी. इसमें वॉलंट्री डोनर्स के नाम और नंबर ब्लड ग्रुप वाइज दर्ज किए गए थे. धीरे-धीरे यह डायरेक्टरी बेकार साबित हो गई क्योंकि इसमें शामिल डोनर्स का मोबाइल नंबर अपडेट नहीं किया जा सका.
निगेटिव ब्लड गु्रप की डिटेल नहीं
यूपी सैक की वेबसाइट पर प्रदेश के सभी ब्लड बैंकों के स्टॉक का खाका रहता है. लेकिन इसमें कभी निगेटिव ब्लड ग्रुप के स्टाक की डिटेल नहीं होती. असल में शहर के अधिकतर ब्लड बैंकों में बमुश्किल एक या दो यूनिट ही रेयर ब्लड ग्रुप उपलब्ध होता है. ब्लड बैंकों के पास रेयर ब्लड ग्रुप वालों का कांटेक्ट नंबर होता है जिसके आधार पर जरूरतमंद की मदद हो पाती है. यह स्थिति भी लोगों के वॉलंट्री ब्लड डोनर्स की कमी के चलते हुई है.
ब्लड देने को लेकर यह है भ्रांतियां
-शरीर में कमजोरी हो जाएगी.
-ब्लड देने से शरीर का वजन कम हो जाएगा.
-ब्लड देने से काफी दर्द होगा और चक्कर आ सकता है.
जबकि ब्लड डोनेशन है फायदेमंद
-बॉडी पुन: रिचार्ज हो जाती है.
-कई रोगों की संभावना कम होती है.
-बॉडी में नया ब्लड तीन माह में बनकर तैयार हो जाता है.
कौन दे सकता है ब्लड
-जिसका हीमोग्लोबिन 12 प्वाइंट से कम न हो.
-48 घंटे के भीतर डोनर ने मदिरा सेवन न किया हो.
-किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए.
-ब्लड डोनेशन में तीन माह का गैप हो.
केंद्र सरकार से डोनर ने की मांग
शोधछात्र व रक्तदाता राजीव मिश्र ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विभिन्न मांग की है. इसमें राज्यों के स्वाथ्यमंत्रियों के स्टाफ से साल में दो बार ब्लड देने, विभिन्न कोर्सेज में ब्लड डोनेशन का पाठ्यक्रम शामिल करने, हाईस्कूल व इंटर कॉपी पर रक्तदान महादान लिखवाने, डाक टिकट पर ब्लड डोनेशन की जानकारी देने, रेलवे में ब्लड डोनर एक्सप्रेस चलाए जाने सहित 19 सूत्रीय मांगें रखी हैं. उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से अधिक के छात्र-छात्राओं के ब्लड देने पर उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाना चाहिए. बता दें कि राजीव मिश्रा कई बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं और इसके लिए उन्हें अलग-अलग मंच पर सम्मानित भी किया जा चुका है.
ब्लड डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता है. एक यूनिट से चार मरीजों की जान बचाई जा सकती है. मेरी ओर से लोगों से अपील है कि वह आगे आकर ब्लड डोनेट करें.
-डॉ. आनंद सिंह, फिजीशियन, बेली हॉस्पिटल