सरोगेट मदर बनने को सहमत भी हो गई

सरोगेसी से संबंधित स्पष्ट प्रावधान न होने से पुलिस की माथापच्ची और बढ़ गई है। अधिकारियों को अभी एक ही बात समझ में आ रही है कि धोखाधड़ी में मामला दर्ज कर दिया जाए। हालांकि अपनी तरह के पहले केस को देखते हुए एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने विधिक राय लेने का निर्णय लिया है। प्रकरण पहली बार अप्रैल 2017 में प्रकाश में आया था। हरिद्वार के एक दंपती ने ऋषिकेश कोतवाली में तहरीर देकर बताया था कि शादी को कई वर्ष होने के बाद भी उन्हें बच्चा नहीं हो रहा था। तब मेरठ के एक व्यक्ति ने उन्हें सरोगेसी के माध्यम से बच्चा करने की सलाह दी थी। इतना ही नहीं उस व्यक्ति ने उन्हें एक महिला से मिलवाया और वह सरोगेट मदर बनने को सहमत भी हो गई।

इस मामले में दोबारा से मंथन शुरू हुआ

बताया जा रहा है कि इसके लिए दोनों के बीच करीब दो लाख रुपये में अनुबंध हुआ था। 22 जून 2015 को सरोगेट मां ने उन्हें एक बच्चा सौंप दिया, लेकिन बाद में दंपती को पता चला कि सरोगेट महिला को एक नहीं, बल्कि जुड़वां बच्चे पैदा हुए थे। एक बच्चा महिला ने खुद रख लिया था। इस पर जब दंपती बच्चे की मांग को लेकर महिला से मिले तो उसने बच्चा देने से साफ इन्कार कर दिया। पुलिस के अनुसार पिछले साल दंपती की ओर से तहरीर मिलने के बाद दोनों पक्षों में समझौता करा दिया गया था। हालांकि दंपती ने दोबारा शिकायत की तो इस मामले में दोबारा से मंथन शुरू हो गया है।

अभी सरोगेसी मामलों को लेकर ऐसा कोई प्रावधान व एक्ट नहीं बना है, जिसके हिसाब से महिला पर कार्रवाई की जाए। दूसरे राज्यों में अगर कोई ऐसा मामला आया हो तो उसका अध्ययन किया जाएगा। इस पर विधिक राय लेकर कार्रवाई की जाएगी।

-निवेदिता कुकरेती, एसएसपी, देहरादून

 

किसी भी दंपती के साथ सरोगेट मदर की कोख का अनुबंध किया जाता है। ऐसे में कोख में जो भी बच्चा होगा, उस पर अनुबंध करने वाले दंपती का कानूनी अधिकार होता है। सरोगेट मदर इससे इन्कार नहीं कर सकती। यदि पुलिस सहयोग लेगी तो स्पष्ट किया जाएगा कि किन धाराओं व नियम में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

-राजेश टंडन, अध्यक्ष, विधि आयोग, उत्तराखंड

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