- आउटकम स्कूल ग्रेडिंग सिस्टम के तहत बेसिक स्कूलों में हुआ एग्जाम

- विभागीय अव्यवस्था की वजह से बच्चों सहित शिक्षकों को हुई परेशानी

बरेली :

बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य को लेकर कितना चिंतित है. इस बात को बेसिक शिक्षा विभाग ने वेडनसडे को खुद सिद्ध कर दिया. इस सेशन में बच्चों ने कितना सीखा और क्या क्या सीखा इस बात की जानकारी के लिए आयोजित परीक्षा में केवल दो दो पेपर ही हर क्लास के लिए भेजे गए. जिसकी वजह से टीचर्स को ब्लैक बोर्ड पर पूरा पेपर लिखना पड़ा.

90 मिनट की थी परीक्ष

दरअसल लर्निग आउटकम स्कूल ग्रेडिंग सिस्टम के तहत बच्चों को कैसे पढ़ाना है इसका शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया था. इसके बाद शिक्षकों के द्वारा बांटा गया ज्ञान बच्चों के लिए उपयोगी रहा या नहीं यह जानने के लिए डायट की ओर से परीक्षा कराई गई. परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं की जगह ओएमआर शीट दी गई. ओएमआर शीट तो पर्याप्त थीं, लेकिन क्वेश्चन पेपर कम पड़ गए. ज्यादातर स्कूलों में दो-दो क्वेश्चन पेपर ही पहुंचे. 90 मिनट की इस परीक्षा में 30-40 प्रश्न हल करने थे, लेकिन क्वेश्चन पेपर कम होने की वजह से सवालों के जवाब देने में ज्यादा समय लगा. वहीं, पांचवीं कक्षा के क्वेश्चन पेपर में दो सवाल भी गलत थे, जिसका हल खोजने में बच्चों से लेकर शिक्षक का माथा पच्ची करनी पड़ी.

ग्रेडिंग सिस्टम का हुआ प्रशिक्षण

क्यारा ब्लॉक की कांधरपुर बीआरसी पर लर्निग आउटकम स्कूल ग्रेडिंग सिस्टम का प्रशिक्षण हुआ. जिसमें प्रतिभाग करने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षक नीता जोशी ने भाषा, गणित आदि विषयों को बालमन के अनुसार पठन-पाठन के गुर सिखाए.

जिले के स्कूलों में तीन लाख से ज्यादा बच्चे हैं, जिसमें से 60 परसेंट बच्चे ही प्रजेंट रहते हैं. इसी के अनुसार पेपर छपवाए गए थे, फिर भी बजट के अभाव में पूरे पेपर नहीं छप पाए.

देवेश राय, नगर शिक्षा अधिकारी