क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: अगर आप भी सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में इलाज कराने जा रहे हैं तो संभलकर जाएं. चूंकि वहां नजर हटी तो दुर्घटना घटी वाली कहावत सच साबित हो जाएगी. जी हां, हम बात कर रहे हैं सुपर स्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल कैंपस की, जहां कदम-कदम पर ओपन मेन होल हादसों को न्योता दे रहे हैं. अगर इसमें गिरे तो आप सीधे इमरजेंसी पहुंच जाएंगे. इसके बावजूद हॉस्पिटल प्रबंधन खुले मेन होल्स को कवर करने के बारे में नहीं सोच रहा है. ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?

प्रेग्नेंट महिलाएं व बच्चे आते हैं ज्यादा

हॉस्पिटल की नई बिल्डिंग चालू होने के बाद यहां पर मैटरनिटी और चाइल्ड वार्ड बनाया गया है, जिसमें इलाज के लिए सबसे ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं आती हैं. वहीं छोटे बच्चों को भी इलाज के लिए लाया जाता है. इसके अलावा हर समय हॉस्पिटल में 100 से अधिक मरीज भी एडमिट रहते हैं. वहीं हर दिन हॉस्पिटल के सीनियर अधिकारी इंस्पेक्शन भी करते हैं. फिर भी उनकी नजर इस पर नहीं पड़ती. ऐसे में इस तरह की लापरवाही समझ से परे है.

रात में नजर नहीं आते मेन होल्स

इमरजेंसी गेट के अलावा मेन बिल्डिंग के पास डेंटल ओपीडी के बाहर भी मेन होल्स खुले पड़े हैं, जिसपर कवर तक नहीं लगाया गया है. इतना ही नहीं, उसके पास भी न तो कोई खतरे का निशान है और न ही घेराबंदी की गई है. रात में तो ये मेन होल्स दिखाई भी नहीं देते. ऐसे में कोई इसमें गिरता है तो उसका पता लगाना भी मुश्किल होगा. चूंकि इन मेन होल्स के नीचे दस फीट का गढ्डा है.

वर्जन

ऐसी जानकारी तो मुझे नहीं है. ये खुले मेन होल्स तो खतरनाक हैं. इसे तत्काल कवर कराने की जरूरत है. जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा. वहीं संबंधित लोगों से पूछताछ भी होगी कि इतने दिनों से ये खुला क्यों है.

डॉ. सव्यसाची मंडल, डीएस, सदर