RANCHI: झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन ने प्रयास शुरू कर दिया है। इसके लिए बुधवार को नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के आवास पर घटक दलों के नेताओं की हुई बैठक में वामदलों को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन मा‌र्क्सवादी समन्वय समिति और फारवर्ड ब्लॉक को छोड़ अन्य भाकपा, माकपा व भाकपा (माले) इस बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि दावा किया गया है कि उनका पहले से कार्यक्रम तय था। अगली बैठक में वामदलों की हिस्सेदारी जरूर होगी। बैठक में यह सहमति बनी कि जिन 32 सीटों पर जिस विपक्षी दल के विधायक काबिज हैं, ये सीटें उसी दल के हिस्से में जाएंगी। बाकी बची 49 सीटों पर फैसला महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती होगी। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन व कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने बताया कि इन सीटों पर आपसी विमर्श से हिस्सेदारी तय की जाएगी। लेकिन जिच झाविमो के हिस्से रही उन छह सीटों पर फंसेगी जिसपर निर्वाचित विधायक अब भाजपा में हैं। इस समूह ने पार्टी के विलय का दावा किया था जिसपर विधानसभा अध्यक्ष भी मुहर लगा चुके हैं। ऐसे में अब जमीनी हकीकत को देखकर यह तय किया जाएगा कि ये सीटें किन दलों के खाते में जाएंगी।

21 तक सीटें होंगी चिन्हित

बैठक के दौरान तमाम विपक्षी दलों से आग्रह किया गया कि वे अपनी दावेदारी वाली सीटों की सूची सौंप दें ताकि अगली मीटिंग में इस पर चर्चा हो सके। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। अब 16 जुलाई के बाद फिर बैठक होगी। सीटें चिन्हित करने के लिए 21 जुलाई की डेट तय की गई है। बैठक में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह, झाविमो प्रवक्ता सरोज सिंह, मासस विधायक अरूप चटर्जी और फारबर्ड ब्लाक के आरपी कुशवाहा मौजूद थे।

मुझे फंसा रही सरकार : हेमंत

नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार उन्हें फर्जी मामलों में फंसा रही हैं। उनपर व्यक्तिगत आक्रमण किया जा रहा है। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश का हिस्सा करार देते हुए कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। स्टेट गवर्नमेंट का वश चले तो वे झारखंड के लोगों को यहां से भगाकर गुजरात, हरियाणा व महाराष्ट्र के लोगों को बसा दे।

महागठबंधन का नौटंकी पार्ट-2 शुरू: बीजेपी

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने हेमंत सोरेन के आवास पर विपक्षी दलों की हुई बैठक को नौटंकी पार्ट-2 करार दिया है। प्रतुल ने कहा कि अब विपक्ष को गठबंधन से महागठबंधन शब्द हटा लेना चाहिए क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में जनता ने झारखंड में इनका सूपड़ा ही साफ कर दिया था। प्रतुल ने तंज कसते हुए कहा कि यह गठबंधन हताश, निराश एवं जनता द्वारा खारिज किए गए नेताओं और दलों का समूह है। कहा, जब इस गठबंधन के प्रमुख घटक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन ही चुनाव हार गए तो झामुमो के पास आगे कुछ कहने को नहीं बचता। झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी लगातार पांचवीं बार चुनाव हारे हैं। राजद टुकड़ों में बंटकर अस्तित्वविहीन हो गया है। कांग्रेस झारखंड में पूरे तरीके से अप्रासंगिक हो चुकी है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 7 सीटों पर लड़ी और 6 सीटों पर बड़े मार्जिन से हारी। ऐसे भी लोकसभा चुनाव हारने के तुरंत बाद कांग्रेस और झामुमो ने एक दूसरे पर वोट ट्रांसफर नहीं करवा पाने का सीधा आरोप लगाया था। उसके बाद फिर से ये दल साथ चुनाव लड़ने की कवायद का नाटक कर रहे हैं। प्रतुल ने कहा कि विपक्ष की आज की बैठक में ना तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार पहुंचे और ना ही बाबूलाल मरांडी ने शिरकत की।