हेडिंग: धरती के भगवान पर जुल्म

- केजीएमयू में कराया जा रहा 48 से 72 घंटे काम

- वर्किंग कंडीशनंस काफी खराब

- केजीएमयू से भी रिपोर्ट की गई तलब

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW :

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) अपने रेजीडेंट्स से 24 से 48 घंटे लगातार काम लेता है। कई बार विशेष परिस्थितियों में यह ड्यूटी लगातार 48 से 72 घंटे तक हो जाती है। यह आरोप लगाते हुए केजीएमयू के रेजीडेंट डॉक्टर ने नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन (एनएचआरसी)) में शिकायत दर्ज की है। जिस पर आयोग ने केस दर्ज कर एमएचआरडी को समन जारी किया। जिसके बाद एमएचआरडी ने केजीएमयू से इस बाबत रिपोर्ट तलब की है।

वर्किंग कंडीशनंस काफी खराब

केजीएमयू में रेजीडेंट जय प्रकाश गुप्ता ने नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन में 2014 में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि केजीएमयू में जेआर 1 के साथ सीनियर्स काफी खराब व्यवहार कर रहे हैं। वर्किंग कंडीशन इतनी खराब है कि 48 से 72 घंटे तक लगातार काम कराया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस ड्यूटी टाइम के दौरान सीनियर्स उनके साथ रैगिंग भी करते हैं। जेआर 3 कहते हैं कि सर/मैम जो कहते हैं उसे भूल जाओ, वार्ड में वही होगा जो हम चाहेंगे।

आदेश सिर्फ कागजों पर

केजीएमयू प्रशासन से मामले की शिकायत की गई तो उन्होंने 12-12 घंटे ड्यूटी का रोस्टर भी बना दिया, लेकिन यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहा। उसके बाद भी वर्किंग कंडीशन में कोई सुधार नहीं आया। इस दशा में काम कर पाना बहुत मुश्किल है। उन्होनें यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोगों से पैसों की भी डिमांड की गई है।

18 जनवरी को होगी पेशी

एनएचआरसी ने मामले में मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट भारत सरकार के सचिव को एक नहीं चार बार नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था, लेकिन आयोग में मिनिस्ट्री की ओर से कोई जवाब नहीं रखा गया। इस पर आयोग के डिप्टी रजिस्ट्रार ने समन जारी कर एमएचआरडी के सचिव से 11 जनवरी तक रिपोर्ट तलब की है। 11 जनवरी तक रिपोर्ट न देने पर सचिव को 18 जनवरी को आयोग में हाजिर होने के निर्देश भी दिए गए हैं। जिसके बाद एमएचआरडी ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार और हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट यूपी को पत्र भेज कर पूरी मामले की रिपोर्ट तलब की है।

डिप्रेशन में केजीएमयू के रेजीडेंट

कुछ वर्ष पूर्व सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ। समीर मिश्रा व उनकी टीम ने केजीएमयू के सभी रेजीडेंट डॉक्टर्स पर स्टडी की थी। जिसमें निकल कर आया था कि रेजीडेंट डॉक्टर एंजाइटी और डिप्रेशन के शिकार हैं। क्लीनिकल डिपार्टमेंट्स के करीब 90 फीसद डॉक्टर एंजाइटी से ग्रसित मिले और इसके कारण वे नशे के आदी भी हो रहे हैं। टीम ने साइकियाट्री डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स से मिलकर हैमिल्टन मैथेड से क्वेश्चनेयर बनाकर सभी रेजीडेंट से प्रश्न पूछे थे। जिसमें यह निकल कर आया था। इसमें सर्जरी, मेडिसिन, आर्थोपेडिक्स, बालरोग, गाइनीकोलॉजी डिपार्टमेंट को शामिल किया गया था।

एक्स्ट्रा वर्क लोड

क्लीनिकल विभागों के रेजीडेंट समय पर खाना भी नहीं खा पाते हैं और बीमारियों की चपेट में हैं। जिसका विपरीत असर मरीजों पर पड़ता है। गायनी डिपार्टमेंट की एक रेजीडेंट डॉक्टर अपनी एंजाइटी कम करने के लिए दिन में 10 से 17 चाय तक पी जाती थी, लेकिन खाना खाने का समय उन्हें नहीं मिलता था। इसके बाद टीम ने केजीएमयू प्रशासन को इस संबंध रिपोर्ट भी सौंपी थी। जिसमें रेजीडेंट्स की वर्किंग कंडीशन बेहतर करने के लिए रोटेशन पर ड्यूटी लगाने, योगा सहित एक्स्ट्रा कैरीकुलर एक्टीविटी कराने की सिफारिश की गई थी, लेकिन केजीएमयू प्रशासन ने इस रिपोर्ट पर कोई संज्ञान नहीं लिया।

8 घंटे से अधिक ड्यूटी ठीक नहीं

केजीएमयू के कई सीनियर डॉक्टर्स के मुताबिक कोई भी रेजीडेंट डॉक्टर 8 घंटे से अधिक लगातार काम करता है तो इलाज की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। शायद यही कारण है कि कई बार खबरें आती हैं कि रेजीडेंट देखते किसी और मरीज को हैं ओर उसका इलाज दूसरे पर कर देते हैं। समय से न सो पाने के कारण कई बार रेजीडेंट ट्रॉमा के इमरजेंसी वार्डो में ही सोते नजर आते हैं।

इन डिपार्टमेंट में ज्यादा दिक्कत

केजीएमयू में सर्वाधिक समस्या मेडिसिन, सर्जरी, बाल रोग और गाइनी डिपार्टमेंट में है। इन सभी में इमरजेंसी चलती है और हमेशा मरीजों की संख्या बेड्स की संख्या से अधिक रहती है। गाइनी में तो हमेशा दोगुनी संख्या में मरीज भर्ती रहते हैं। केजीएमयू के अधिकारी भी मानते हैं कि दिक्कत है लेकिन पोस्ट शासन की ओर से भरी जाती हैं और शासन सीटें बढ़ाने को तैयार नहीं है। जिससे रेजीडेंट्स के साथ अमानवीय व्यवहार जारी है।

मामले की कंप्लेन आई है। जिसकी जांच के लिए सीएमएस को निर्देशित किया गया है। पूरी जांच के बाद आयोग को जवाब भेजा जाएगा।

- प्रो। एमएलबी भट्ट, वीसी, केजीएमयू