लापरवाही

फाइलों तक सिमट कर रह गए कमिश्नर के आदेश

-आरटीए की बैठक में हुआ था ई-रिक्शा को नियमित करने का फैसला

-तीन माह में महज 15 ई-रिक्शा संचालकों ने कराए रजिस्ट्रेशन

-महज एक चालक ने बनवाया डीएल, नहीं बने ई-रिक्शा स्टैंड

Meerut: शहर की सड़कों पर 2700 ई-रिक्शा दौड़ रही है और रजिस्ट्रेशन महज 15 का है। आरटीए की बैठक ने कमिश्नर से साफ कहा था कि तीन माह में ई-रिक्शा को नियमित करें, लेकिन इस आदेश का अभी तक असर दिख नहीं रहा। रजिस्ट्रेशन, फिटनेस सहित तमाम नियम आरटीओ प्रशासन के लिए चुनौती बने हुए हैं। नियमों धज्जियां उड़ाकर ई-रिक्शा शहर की सड़कों पर बेतरतीब दौड़ रहे हैं।

कमिश्नर ने दिए थे आदेश

30 मार्च को कमिश्नरी सभागार में आयोजित संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में कमिश्नर आलोक सिन्हा ने आरटीओ ममता शर्मा को आदेश दिए थे कि 'ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए सभी ई-रिक्शों को 3 माह के अंदर समुचित पंजीकरण के साथ-साथ उनके सुव्यवस्थित संचालन के लिए स्थान व रूटों के निर्धारण किए जाएं.'

ये नियम होने थे प्रभावी

-शहर की सड़कों पर चलने वाली हर ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए

-हर ई-रिक्शा का फिटनेस सर्टिफिकेट होना चाहिए

-हर ई-रिक्शा चालक के पास डीएल होना चाहिए

-शहर में ई-रिक्शाओं के स्टैंड बनाए जाने चाहिए

-संचालक ई-रिक्शा सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कंपनियों से खरीदें

- ई-रिक्शाओं के शहर में रूट तय किए जाएं

फैक्ट एंड फीगर

-शहर में लगभग 2700 ई-रिक्शा संचालक हैं

-पिछले तीन माह में महज 15 ई-रिक्शाओं का रजिस्ट्रेशन हुआ है

-पिछले तीन माह में महज एक ई-रिक्शा संचालक ने अपना डीएल बनवाया है

- नियम लागू होने के बाद महज तीन ई-रिक्शा संचालकों ने फिटनेस सर्टिफिकेट कराया है

- स्टैंड की जगह चिह्नित होने के बाद अभी तक स्टैंड नहीं बने

-ई-रिक्शा का शहर में अभी तक एक भी रूट तय नहीं किया गया

नहीं होती सख्ती

ई-रिक्शा संचालक नियमों को अनदेखी कर धड़ल्ले से शहर में ई-रिक्शा चला रहे हैं, लेकिन आरटीओ की ओर से आज तक एक भी अभियान ई-रिक्शा संचालकों के खिलाफ नहीं चलाया गया, जिसके चलते ई-रिक्शा संचालक नियमों को फॉलो करने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते।

कई बार ई-रिक्शा संचालकों को अखबार के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की जा चुकी है। इसके बावजूद भी कोई कागज पूरे नहीं कराना चाहता। अब तो बस कार्रवाई ही अंतिम हथियार है।

विश्वजीत सिंह, एआरटीओ, मेरठ