पश्चिम से पढ़कर आए युवक विज्ञान और तकनीक की नई से नई शिक्षा ग्रहण करते हैं। वे भारत में आकर विवाह करते हैं तो दहेज मांगते हैं, तो उनकी वैज्ञानिक शिक्षा का क्या परिणाम हुआ?

पहली तो बात यह है, जब तक कोई समाज अरेंज-मैरिज, बिना प्रेम के और सामाजिक व्यवस्था से विवाह करना चाहेगा, तब तक वह समाज दहेज से मुक्त नहीं हो सकता। दहेज से मुक्त होने का एक ही उपाय है कि युवकों और युवतियों के बीच मां-बाप खड़े न हों, अन्यथा दहेज से नहीं बचा जा सकता। प्रेम के अतिरिक्त विवाह का और कोई भी कारण होगा, तो दहेज किसी न किसी रूप में जारी रहेगा।

दहेज हमेशा जारी रहा है। कुछ समाजों में लड़कियों की तरफ से दहेज दिया जाता रहा है, कुछ समाजों में लड़कों की तरफ से भी दहेज दिया जाता रहा है, लेकिन दहेज दुनिया में जारी रहा है, क्योंकि विवाह की जो सहज प्राकृतिक व्यवस्था हो सकती, वह हमने स्वीकार नहीं की। समाज अब तक प्रेम का दुश्मन सिद्ध हुआ है। वह कहता है, बिना प्रेम के, सोच-विचार करके मां-बाप तय करेंगे, पंडित-पुरोहित तय करेंगे कि विवाह हो। जब तक पंडित-पुरोहित, कुंडली, जन्म और इन सारी बातों को देख कर और मां-बाप विवाह तय करेंगे, तब तक दहेज जारी रहेगा।

क्यों, क्योंकि जहां प्रेम नहीं है वहां पैसे के अतिरिक्त और किसी चीज से संबंध नहीं होता या तो दो व्यक्तियों के बीच में प्रेम हो तो पैसा खड़ा नहीं होता और अगर प्रेम न हो तो पैसा ही एकमात्र संबंध का रास्ता रह जाता है। अभी कोई पंद्रह दिन हुए, प्राइमरी स्कूल के एक शिक्षक मेरे पास आए। गरीब आदमी हैं, लड़की का विवाह करना है। तो वे मुझसे कहने लगे कि एक इंजीनियर युवक से विवाह की बात चल रही है, लेकिन वह बारह हजार रुपये मांगता है। उन्होंने बहुत विरोध मेरे सामने जाहिर किया कि यह तो बहुत ज्यादती की बात है। मैंने उनसे कहा कि पहली तो बात यह है कि आप इंजीनियर लड़के से विवाह क्यों करना चाहते हैं। किसी चमार लड़के से विवाह क्यों नहीं करते किसी मजदूर लड़के से विवाह क्यों नहीं करते।

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आप यह तो कहते हैं कि लड़का बारह हजार रुपये मांगता है, लेकिन लड़के को हजार रुपये महीने मिलते हैं, इसलिए आप उसके साथ विवाह कर रहे हैं। सौ रुपये वाले महीना पाने वाले लड़के विवाह करने को आप भी राजी नहीं हैं। दुनिया में आप यह कहेंगे कि मैं तो विवाह करने को राजी हूं, लेकिन वह लड़का बारह हजार रुपये मांगता है, लेकिन आप उस लड़के की तरफ क्यों उत्सुक हुए हैं, क्योंकि उसको हजार रुपये महीने मिलते हैं। आप भी रुपये का ही विचार कर रहे हैं, वह भी रुपये का ही विचार कर रहा है।

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