- यूपी कैडर के आईपीएस भानु भास्कर पर एससीबी एसपी के संगीन आरोप

-बैंक फ्राड में फंसे रिश्तेदारों को बचाने को ज्वाइंट डायरेक्टर ने लटकाई जांच

सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे ने लिखा पत्र

- सीवीसी, डीओपीटी, सीबीआई डायरेक्टर और चीफ सेकेट्री को भेजा पत्र

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LUCKNOW: देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई की साख पर भी सवाल खड़ा हुआ है। सीबीआई मुख्यालय में ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर तैनात यूपी कैडर के एक आईपीएस सीबीआई के ही एक एसपी ने संगीन आरोप लगाया है। आरोप है कि वह बैंक घोटाले में शामिल एक व्यक्ति और अपने रिश्तेदार को बचाने के लिए जांच को लटकाए रहे। एसपी ने यह पत्र केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय, यूपी के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह को भेज ज्वाइंट डायरेक्टर का सीबीआई में एक्सटेंशन नहीं करने और उनके मूल कैडर में वापस भेजने की मांग की है। साथ ही सीबीआई डायरेक्टर को भेजे पत्र में उन्होंने ज्वाइंट डायरेक्टर के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करने का अनुरोध भी किया है। फिलहाल, इस मामले से सीबीआई में हड़कंप मचा है और वरिष्ठ अफसरों ने चुप्पी साध ली है।

दो बैंक घोटालों से जुड़े मामलों का जिक्र

'दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट' के पास ज्वाइंट डायरेक्टर के खिलाफ लिखे इस पत्र की कॉपी है। दरअसल लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे द्वारा लिखे पत्र में सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर भानु भास्कर पर आरोप है कि उन्होंने रांची में इलाहाबाद बैंक के साथ हुए फ्रॉड और यूपी के भदोही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ हुए फ्रॉड के मामलों में करीब दस महीने तक चार्जशीट लगाने और प्रारंभिक जांच शुरू करने की फाइल को लटकाए रखा। अब वह सीबीआई में फिर से दो साल का एक्सटेंशन चाहते हैं ताकि अपने पद का इस्तेमाल कर वह आरोपितों को बचा सकें। खरे का आरोप है कि रांची के केस में आरोपी संजय सिंह से समझौता करने के लिए जांच अधिकारियों पर दबाव भी डाला गया। ध्यान रहे कि यह वही मामला है जिसमें सीबीआई के एक अन्य ज्वाइंट डायरेक्टर राजीव सिंह पर आरोप था कि वह अपने रिश्तेदार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद राजीव सिंह को उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया गया था।

गारंटर है करीबी रिश्तेदार

एसपी ने अपने पत्र में जिस दूसरे केस का जिक्र किया है वह लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच में जनवरी माह में दर्ज किया गया था। यह केस भदोही में कालीन व्यापारियों द्वारा बैंक की रकम का गबन करने से जुड़ा था। आरोप है कि भानु भास्कर को 12 मार्च से 15 मार्च तक लखनऊ जोनल कार्यालय के ज्वाइंट डायरेक्टर का अस्थायी चार्ज दिया गया तो उन्होंने यह जांच एससीबी से एसीबी ट्रांसफर कर दी। खरे का आरोप है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ हुए फ्रॉड के इस केस में रंजीत सिंह, अभिषेक सिंह के अलावा गारंटर समर बहादुर सिंह भी नामजद किए गये थे। इनमें से समर बहादुर सिंह को भानु भास्कर का करीबी रिश्तेदार बताया जाता है। उन्होंने यह भी जिक्र किया है कि इस तरह केस ट्रांसफर करना केंद्रीय सतर्कता आयोग के नियमों के खिलाफ है।

फिलहाल नहीं मिला एक्सटेंशन

ज्वाइंट डायरेक्टर के खिलाफ यह पत्र लिखने के बाद भानु भास्कर का एक्सटेंशन भी खतरे में पड़ गया है। बताते चलें कि सीबीआई में भानु भास्कर का कार्यकाल आगामी 5 अगस्त तक शेष बचा है। दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीबीआई के तीन अफसरों के एक्सटेंशन को तो मंजूरी दी पर भानु भास्कर को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ। जानकारों की मानें तो फिलहाल भानु भास्कर को सीबीआई में दो साल का एक्सटेंशन देने की उम्मीद नहीं बची है। उल्लेखनीय है कि भानु भास्कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर करीब 12 साल सीबीआई में तैनात रह चुके हैं।

कोट

इस तरह का एक पत्र मिला था। भानु भास्कर के सीबीआई में एक्सटेंशन को लेकर राज्य सरकार से एनओसी मांगी गयी थी जो कि भेजी जा चुकी है। फिलहाल उनके एक्सटेंशन पर केंद्र सरकार को निर्णय लेना है।

अरविंद कुमार

प्रमुख सचिव गृह