अमेरिका और आस्ट्रेलिया में ही हुई आलोचना
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेबाकी विकसित देशों के लोगों को रास नहीं आई है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस की मौजूदगी में  विकसित देशों पर नकेल की भारतीय मांग के इर्द-गिर्द विकासशील देशों के इकट्ठा होने को पचाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। अमेरिका और आस्ट्रेलिया के दो प्रमुख अखबारों ने भारत को लेकर ऐसे कार्टून छापे हैं जिन्हें नस्ली ही कहना चाहिए। हालाकि यह प्रयास उन अखबारों के लिए भारी पड़ गया है क्योंकि उनके देशों के प्रमुख लोग ही इनकी आलोचना कर रहे हैं।

अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियन समाचारपत्रों में छपे हैं कार्टून  
द आस्ट्रेलियन ने अपने वरिष्ठ कार्टूनिस्ट बिल लीक का बनाया एक कार्टून छापा है। इसे पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन करार के संदर्भ में बनाया गया है। करार पर भारत समेत 196 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। हाल ही में समाप्त हुए सम्मेलन में मोदी ने विकसित देशों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी। अमेरिकी दैनिक न्यूयार्क टाइम्स ने भी इसी तरह का एक कार्टून छापा है। उसने जलवायु सम्मेलन नामक ट्रेन के सामने बैठे एक हाथी को भारत नाम दिया है। अखबार का कहना है कि भारत बातचीत और आम सहमति के रास्ते रोक रहा है।

Cartoon in US news paper

कैसा है कार्टून
द आस्ट्रेलियन में छपे कार्टून में कुछ गरीब भारतीयों को दिखाया गया है। ये सोलर पैनल के टुकड़े कर रहे हैं और खा रहे हैं। एक शख्स यह कहते हुए दिखाया गया है कि यह खाने लायक नहीं है। वहीं दूसरा शख्स कह रहा है, मैं आम की चटनी से इसे खाने की कोशिश करता हूं।

दुनिया भर में आलोचना
कार्टून की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। मैक्यूरी यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की सहायक प्रोफेसर अमांडा वाइस के मुताबिक, कार्टून चौंकाने वाला है। इसे ब्रिटेन, अमेरिका या कनाडा में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, कार्टून निश्चित तौर पर नस्लभेदी है। भारतीयों को ऐसे दिखाया गया है, मानो वे बहुत पिछड़े हैं और उन्हें तकनीक का जरा भी ज्ञान नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय दूसरे सबसे बड़े अप्रवासी हैं और अपनी प्रतिभा के दम पर यहां तक पहुंचे हैं। आस्ट्रेलियाई सांसद टिम वाट्स ने इस कार्टून को ‘निराश करने वाला’ बताया है। एक व्यक्ति ने तो कार्टूनिस्ट का नाम लेकर यहां तक कहा है कि ‘आपके कार्टून जितने मसखरे वाले होते हैं, वे लोग (भारतीय) उससे कहीं अधिक स्मार्ट हैं।’ चौतरफा आलोचना के बीच अखबार के संपादक क्लाइव मेथिसन को इस पर जवाब देते नहीं बन रहा है। उन्होंने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।

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