खास टाइमटेबल लाना होगा अमल में  
पी. चिदंबरम ने कहा कि ऐसे में उन्हें कुछ इस तरह का टाइमटेबल अमल में लाना होगा, जो पार्टी को ऐसे समय में सच्चे विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से सक्षम बनाए, जब पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल लगभग पूरी तरह से गिर चुका हो. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के सामने एक कारगर, मजबूत और ठोस विपक्ष पेश करने के लिए पार्टी के पुनर्गठन का बड़ा काम अभी भी पेंडिंग है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी संगठन में नंबर एक पर हैं. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जनवरी, 2013 में जयपुर में राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय शायद सही फैसला था.

ज्यादा से ज्यादा रैलियों को संबोधित करने का अनुरोध
पार्टी में प्रियंका गांधी को लाने के लिए उठ रही मांग से संबंधित सवालों के जवाब पर चिदंबरम ने कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष से और भी ज्यादा मुखर होने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि वह उनसे अनुरोध करते हैं कि वे और ज्यादा रैलियों को संबोधित करें, साथ ही यह भी अनुरोध करेंगे कि मीडिया से भी मिलें. एक इंटरव्यू में पी. चिदंबरम ने कहा कि वह सहमत हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी नीचे है, लेकिन वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि मनोबल को उठाया नहीं जा सकता, दिशा नहीं दी जा सकती. उन्हें यकीन है कि कांग्रेस नेतृत्व के पास एक टाइम टेबल है.

चिदंबरम की खास टिप्पणी खास समय पर
किसी गैर गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हां, वह ऐसा समझते हैं. इस तरह की स्थिति आने के बारे में उन्होंने कहा कि कब आएगी, यह उन्हें पता नहीं है. चिदम्बरम की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब संगठन में चुनाव की प्रक्रिया बहुत तेजी के साथ चल रही है, जिससे अगले साल जुलाई के आखिर तक नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा. अखिर पार्टी एक परिवार पर नेतृत्व के लिए इतना ज्यादा निर्भर क्यों है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह इसलिए होता है कि वह (राहुल गांधी) उस परिवार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं कि दूसरे युवा नेता उभर कर सामने नहीं आ सकते. आखिरकार सचिन पायलट भी तो उभरे हैं. इसी के साथ पूर्व वित्त मंत्री ने इस बात को भी सिरे से खारिज किया है कि पार्टी नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं तक से बात नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह उनसे नियमित अंतराल पर मिलते रहते हैं. ऐसे में कार्यकर्ता उनसे बातचीत करते हैं और चिदंबरम  ऐसा मानते हैं कि और भी ऐसे हैं. वह सभी कार्यकर्ताओं से अनुरोध करते हैं कि वे जनता से बात करें.

'राहुल गांधी को कमान सौंपना नेतृत्व की रणनीति थी'
सोनिया के अपना स्थान छोड़कर अपने बेटे को दिए जाने पर निराश होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सवाल उन्हीं से पूछा जाना चाहिए, लेकिन वह समझते हैं कि उपाध्यक्ष के पद का सृजन और इस पद पर राहुल गांधी को बैठाया जाना नेतृत्व की अगली पीढ़ी को कमान सौंपने की एक सोची-समझी रणनीति थी. चिदम्बरम ने कहा कि यह हर स्तर पर हो रहा है और वह नहीं समझते कि इसमें कोई गलती है. वह समझते हैं कि जयपुर का फैसला संभवत: सही निर्णय था, जिसका पूरे उत्साह से न सिर्फ पार्टी के अंदर बल्कि पार्टी से बाहर के लोगों की ओर से भी स्वागत किया गया.

राहुल गांधी की युवा सदस्यों के बीच है व्यापक स्वीकार्यता
नेतृत्व के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उनकी पीढ़ी की अति स्वीकार्य नेता सोनिया गांधी हैं और वह समझते हैं कि पार्टी के युवा सदस्यों के बीच राहुल गांधी की व्यापक स्वीकार्यता है. इसका यह मतलब नहीं कि दूसरे नेता उभर नहीं सकते या उन्हें नहीं उभरना चाहिए. कांग्रेस नेता ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की उस टिप्पणी को भी सिरे से खारिज किया है कि कालाधन रखने वालों के नाम का खुलासा होने से कांग्रेस को शर्मिंदा होना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत लेन-देन है, कानून का व्यक्तिगत उल्लंघन है. ऐसे में व्यक्ति विशेष को शर्मिंदा होना चाहिए, पार्टी को नहीं. उन्हें नहीं पता, लेकिन अगर किसी मंत्री का नाम है, तो यह उनको शर्मिंदा करेगा, पार्टी को नहीं.

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