-पद्मश्री प्रो। देवी प्रसाद को मिला पद्मभूषण

-आचार्य हरिहर कृपालु त्रिपाठी व कृष्णाराम चौधरी को पद्मश्री

VARANASI

भारत सरकार द्वारा बुधवार को घोषित पद्म पुरस्कारों से अलंकृत बनारस स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है। शिक्षा व संगीत के क्षेत्र में बनारस के तीन विभूतियों को पद्म पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। पुरस्कार की घोषणा होते ही इनके फोन घनघनाने लगे। देखते ही देखते घरों पर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

यह काशी का सम्मान

पद्मभूषण अलंकरण के लिए नाम घोषित होने पर पद्मश्री प्रो। देवी प्रसाद द्विवेदी अत्यधिक भावुक थे। उन्होंने कहा कि यह सम्मान मुझे बाबा काशी विश्वनाथ की कृपा व मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है। यह संपूर्ण काशीवासियों का सम्मान है। मैं तो एक निमित्त मात्र हूं। शिक्षा के प्रति सदैव सजग रहने वाले ईश्वरगंगी निवासी डॉ। द्विवेदी ने बताया कि बीएचयू से शिक्षा ग्रहण करने के बाद संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक के रूप में सेवा शुरू किया। सन् ख्009 में प्रोफेसर बने। ख्0क्ब् में आधुनिक भाषा एवं भाषा विज्ञान विभाग के हेड बने। सन् ख्0क्0 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 'संस्कृत आचार्य रत्न' अलंकरण से सम्मानित किया। वहीं ख्0क्क् में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान प्रदान किया। अब ख्0क्7 में पद्मभूषण अलंकरण। बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं और संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी से अवैतनिक अवकाश पर हैं। वह वर्तमान में देवाधिदेव श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के मेंबर भी हैं।

शिक्षा के उन्नयन को रहेंगे तत्पर

साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री अलंकरण से नवाजे गए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के पूर्व अध्यक्ष आचार्य हरिहर कृपालु त्रिपाठी ने कहा कि भाषा, साहित्य व शिक्षा के उन्नयन के लिए वह सदैव तत्पर रहेंगे। कहा कि भारत में पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण पर रोक लगे और भारतीय संस्कृति जिसमें सर्वे भवंतु सुखिन:, मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव: व अतिथि देवो भव: की परंपरा को आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा में संस्कारों का सृजन करने वाले कोर्स शामिल किए जाएं। नगर के ककरमत्ता पटियाधाम स्थित अष्टादश भुजा माता मंदिर के संस्थापक श्री त्रिपाठी को लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय से महामहोपाध्याय की भी उपाधि प्राप्त हो चुकी है। वर्तमान में वह आजमगढ़ स्थित कुरुहंस आश्रम संस्कृत विद्यालय के आचार्य पद पर कार्यरत हैं।

कठिन परिश्रम का फल

संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री अलंकरण के लिए चुने जाने पर शहनाई वादक कृष्णाराम चौधरी ने कहा कि यह बाबा विश्वनाथ की कृपा से संभव हुआ है। मेरी मेहनत व कठिन परिश्रम का फल है। गुरु प्रख्यात गायक पं। महादेव प्रसाद मिश्र के आशीर्वाद से यह गौरव मुझे मिला है। उन्होंने कहा कि शहनाई वादन कठिन साधना है। इसे सीखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। बनारस में पियरी, कबीरचौरा के मूल निवासी कृष्णाराम फिलहाल कुछ सालों से इलाहाबाद में रह रहे हैं।