अश्विन मास की शुक्लपक्ष की द्वादशी को पद्मनाभ द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। पद्मनाभ द्वादशी में भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान को जागृत अवस्था प्राप्त कराई जाती है। इस दिन भगवान पद्मनाभ अंगड़ाई लेते हैं। पद्मासीन ब्रह्मा 'ऊँ' की ध्वनि करते हैं जिसकी मदद से भगवान पद्मनाभ को निंद्रा से उठाया जाता है।

पूजन विधि

पद्मानाभ एकादशी में भगवान को निंद्रा मुक्त करने हेतु ये सभी कार्य किए जाते हैं। भगवान पद्मनाभ की प्रतिमा को दूध से स्नान करा के उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद उन्हें धूप, दीप, मिठाई, चंदन चढ़ा करके उनकी आरती करें। उनके पूजन के बाद वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दान करें। पूजन करने वाले जाने लें कि इस व्रत के प्रभाव से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

दक्षिण में है पद्मनाभ भगवान का मंदिर

पद्मनाभ भगवान का एक प्रसिद्ध मंदिर केरला के तिरुवंतपुरम में है। मंदिर में केरल और तमिलनाडु की सभ्यता से प्रभावित कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। कहा जाता है कि ये मंदिर दुनया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में खूब चढ़ावा आता है। विष्णु भगवान को पूजने वालों को एक न एक बार यहां अवश्य आना चाहिए।

-पंडित दीपक पांडेय

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