-पटेल चौक से नावल्टी चौराहा तक फुटपाथ पर हो गए अवैध कब्जे

-नगर निगम और पुलिस की हीलाहवाली के चलते फुटपाथ पर सज रही दुकानें

बरेली: शहर की सड़कों पर पडेस्ट्रियन के अधिकारों पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है और पुलिस देखकर भी आंखें मूंदे है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन राइट टू पडेस्ट्रियन के तहत आज हम आपको शहर के सिविल लाइंस मार्केट में पटेल चौक से नॉवल्टी चौराहा पर बने फुटपाथ के हालात से रू-ब-रू करवा रहे हैं। यहां आपको फुटपाथ ढूंढे नहीं मिलेगा और कहीं मिल भी गया तो वहां अतिक्रमण के कारण चल पाना संभव नहीं है। यहां से चंद कदम दूर कोतवाली और नगर निगम है। बावजूद इसके पडेस्ट्रियन सड़कों पर हादसे का शिकार हो रहे हैं।

फुटपाथ को बना दिया चौपाटी

शाम होते ही इस रोड पर हनुमान मंदिर के आसपास का एरिया चौपाटी का रूप ले लेता है। फुटपाथ पर ही चाट-पकौड़ी की दुकानों के साथ ही सड़क किनारे आइस्क्रीम के ठेले भी खड़े रहते हैं। इसके चलते पैदल राहगीरों को चलने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती है और मजबूर होकर उन्हें सड़क पर चलना पड़ता है।

आंखें मूंदे है पुलिस

पटेल चौक और नॉवल्टी चौराहा के बीच की दूरी लगभग 500 मीटर है। पटेल चौक पर पुलिस चौकी होने के चलते यहां हर समय पुलिस मौजूद रहती है, वहीं नॉवल्टी चौराहा पर भी दिनभर पुलिस की ड्यूटी रहती है, लेकिन फुटपाथ पर दुकानें लगाने वालों पर पुलिस कभी कार्रवाई नहीं करती है।

अभियान भी बेअसर

इस रोड को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए नगर निगम ने कई बार अभियान चलाया और दुकानों के बाहर रखा सामान भी जब्त किया, लेकिन फुटपाथ पर अतिक्रमण का सिलसिला नहीं थमा। हर बार अभियान के दौरान दुकानदार सामान समेट लेते हैं और शाम होने तक फिर फुटपाथ पर ही दुकानें सज जाती हैं।

पब्लिक भी अवेयर नहीं

सड़कों के किनारे हो रहे अवैध कब्जों से हर कोई परेशान है। सिविल लाइंस एरिया के इस रोड पर लगने वाली चाट पकौड़ी की दुकानों पर आने वाले ज्यादातर कस्टमर पढ़े-लिखे होने के बावजूद यहां चटखारे लेते समय यह नहीं सोचते कि ये दुकानें फुटपाथ पर लगी हैं। जब कभी इन लोगों को सड़क पर पैदल चलना पड़ता है और फुटपाथ पर चलने के लिए भी जगह नहीं मिलती है तो वह व्यवस्था को कोसते नजर आते हैं।

यहां फुटपाथ भी है यह तो पता ही नहीं था। लेकिन पूरे रोड पर फुटपाथ तो नजर ही नहीं आ रहा है। कहीं गाडि़यां खड़ी हैं तो कहीं दुकानें लगी हैं।

सौरभ

फुटपाथ पैदल चलने वालों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन यहां फुटपाथ बचा ही नहीं है। अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं।

विवेक कौशिक