Pagglait Movie Review in Hindi: यह फिल्म उन महिलाओं की बात करती है जिन्होंने कभी अपने बारे में नहीं सोचा। कहानी इतने सलीके से आगे बढ़ती है कि आपके साथ फिल्म का हर हिस्सा रह जाता है। फिल्म का एक और संवाद है कि जब भी लड़कियों को अकल आती है, लोगों को लगता है कि वह पागल हो गई है। पूरी फिल्म का यही सार भी है। पढ़ें पूरा रिव्यू ...

फ़िल्म- पगलैट

ओटीटी- नेटफ्लिक्स

निर्देशक- उमेश बिस्ट

कलाकार- सान्या मल्होत्रा, आशुतोष राणा,श्रुति शर्मा,शीबा चड्ढा, सयानी गुप्ता,राजेश तेलंग, रघुबीर यादव,चेतन शर्मा,

रेटिंग- साढ़े तीन

क्या है कहानी

एक मीडिल क्लास परिवार है। संध्या (सान्या मल्होत्रा) हैं, उसकी शादी को केवल पांच महीने ही बीते हैं और उसके पति आस्तिक की मौत हो जाती है। पूरा घर गमगीन है। लेकिन संध्या को दुख नहीं हो पा रहा। वह आंसू नहीं निकाल पा रही है। ऐसा इसलिए है कि पांच महीने में भी संध्या और उसके पति के बीच कोई रिश्ता नहीं बनता है। सिर्फ औपचारिकता रह जाती है। जैसे भारत के तमाम अरेंज मैरिजेस के मामले में होता है। संध्या के सामने एक सच यह भी आता है कि उसके पति की प्रेमिका रही है। प्रेमिका(सयानी गुप्ता) को इसके पति के बारे में संध्या से ज्यादा पता है। संध्या अपनी सहेली नाजिया को बुलाती है और वह सबकुछ छुप छुप कर करती है, जो पांच महीने में वह नहीं कर पाई है। इधर घर में भूचाल तब आता है, जब संध्या के नाम आस्तिक ने इंश्योरेंस के पचास लाख छोड़ दिए होते हैं। अब दोबारा से संध्या की शादी करने की बात होती है। लेकिन संध्या क्या स्टेप लेती है। कहानी में वही मजेदार ट्विस्ट है।

क्या है अच्छा

कितनी दिलचस्प बात है कि मर चुका होता है, उसकी चर्चा जिंदगी भर होती है, लेकिन संध्या जिंदा है और उसकी कोई परवाह नहीं किसी को। संध्या उन महिलाओं की ही छवि है, जो मां बाप के कहने पर कहीं भी ब्‍याह दी जाती हैं और उसके बाद दूसरों के शर्तों पर जीती हैं। निर्देशक ने बेहद इमोशनल तरीके से बारीकी से लड़कियों के उस पक्ष को दिखाया है। फिल्म के संवाद और कहानी का एकदम रॉ ट्रीटमेंट दर्शकों को खूब लुभाएगा, साथ ही दमदार अभिनय भी पसंद आएगा।

फ़िल्म की एडिटिंग भी अच्छी है। फिल्म का क्लाइमेक्स अनुमानित होते हुए भी आप संध्या के आखिरी फैसले को देखने के लिए आप कहानी में उसके साथ चलते जाते हैं। घर की सबसे बुजुर्ग को एक वॉच डॉग के रूप में अच्छे सटायर के रूप में दिखाया गया है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी काफी उम्दा है। अरिजीत सिंह ने सिंगिंग के साथ कंपोजिंग में भी हाथ आजमाया है। गाने कहानी से मेल खाते हुए हैं।

क्या है बुरा

कहानी थोड़ी सी स्लो रफ्तार से बढ़ी है। संध्या की जिंदगी की बैक स्टोरी से भी अगर दर्शक वाकिफ होते तो अच्छा होता।

अदाकारी

सान्या ने बेहद आराम से नॉन ग्लैम किरदार निभाया है। एकदम सही कास्टिंग है उनकी। इनके अलावा शीबा चड्डा और आशुतोष राणा ने आस्तिक के माता पिता के किरदार में जान डाल दी है। उफ्फ कितने स्वाभाविक कलाकार हैं ये। इनके अलावा रघुवीर यादव, चेतन शर्मा, राजेश तैलांग जैसे कई मंझे हुए कलाकार हैं जो फिल्म को और खास बना देते हैं।

वर्डिक्ट

कहानी माउथ पब्लिसिटी के माध्यम से लोकप्रिय होती जायेगी

Review by: अनु वर्मा

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