हर painting है कुछ खास 

Painting exhibition


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Allahabad: ये कोई प्रोफेशनल आर्टिस्ट नहीं हैं। बावजूद इसके इन्होंने जिस तरह से अपनी कला का प्रदर्शन किया उसे देखकर हर कोई दंग रह गया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की निराला आर्ट गैलरी में लगी बच्चों की खूबसूरत पेंटिग्स ने अभी से इस बात की झलक दे दी कि ये नन्हे आर्टिस्ट फ्यूचर में बड़ा कमाल करेंगे। गैलरी में त्रिभुवन स्कूल ऑफ आट्र्स के बच्चों की पेंटिग्स लगाई गई थी,जिसका मंडे को लास्ट डे था.

बारीकी से देखा, समझा और परखा
प्रदर्शनी को देखने के लिए बड़ी संख्या में कला के कद्रदानों का जमावड़ा लगा। इस दौरान लोगों ने एक-एक पेंटिंग को गहराई से देखा, समझा और परखा। बच्चों ने भी अपनी मेधा दिखाते हुए लोगों को चित्रों से रुबरू कराया। स्कूल की डायरेक्टर रेखा राय और आर्ट टीचर पूजा श्रीवास्तव ने बताया कि डिफरेंट पेंटिंग्स में वाटर कलर, पेन वर्क, पेन्सिल शेडिंग, फो कार्ड, आयल पेस्टल वर्क, सैंड पेपर वर्क का प्रयोग किया गया है। खास बात यह है कि बच्चों ने बेहतरीन चित्रों को बनाने की कला बहुत कम समय में सीखने में रुचि दिखाई है।  

मानो बोल पड़ेंगे चित्र
अथर्व, प्राकुल, अगम्या, आध्या, राशि, फाल्गुनी, अन्वेशा, प्रियाली आदि के चित्रों की गहराई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें इंडिया के विभिन्न स्टेट्स के कल्चरल एवं सामाजिक ताने-बाने को कुछ इस तरह से बुना गया था कि देखने में ऐसा लगा मानो वे रीयल में हों। इसके अलावा देशभर की खास चीजों एवं प्रबुद्धजनों को भी चित्रों के माध्यम से बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाया गया। इस दौरान बच्चों के पैरेंट्स भी मौजूद रहे।  

ऐसे समय जब कला का लोप होता जा रहा है। तब बच्चों की आर्ट में दिलचस्पी और उनका हुनर देखकर खुशी होती है। उस पर जब सराहना मिले तो क्या कहने. 
पूजा श्रीवास्तव, टीचर

लोग हमारे चित्र को देखकर तारीफ करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। मेरी तो पूरी कोशिश है कि और बेहतर करके दिखा सकूं.
जाह्नवी पांडे

गैलरी में चित्र और भी खिल उठे हैं। हमारे टीचर्स ने भी हमारे साथ बहुत मेहनत की है। मेहनत सही दिशा में आगे बढ़ती रहे बस मेरा यही सपना है.
जाह्नवी 

पहले दिन अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद दूसरे दिन भी हमारी नजरें डटी रहीं। जितने ज्यादा लोगों ने हमें एप्रिसिएट किया। उतना ही हम मोटिवेट हुए.
अनुष्का

अभी और सीखने की जरूरत है। हमारे ग्रुप में सभी को पेंटिग्स से बेहद लगाव है। यही रीजन है कि हम इतना बेहतर कर पाए.
गौरी 

बारीकी से देखा, समझा और परखा

प्रदर्शनी को देखने के लिए बड़ी संख्या में कला के कद्रदानों का जमावड़ा लगा। इस दौरान लोगों ने एक-एक पेंटिंग को गहराई से देखा, समझा और परखा। बच्चों ने भी अपनी मेधा दिखाते हुए लोगों को चित्रों से रुबरू कराया। स्कूल की डायरेक्टर रेखा राय और आर्ट टीचर पूजा श्रीवास्तव ने बताया कि डिफरेंट पेंटिंग्स में वाटर कलर, पेन वर्क, पेन्सिल शेडिंग, फो कार्ड, आयल पेस्टल वर्क, सैंड पेपर वर्क का प्रयोग किया गया है। खास बात यह है कि बच्चों ने बेहतरीन चित्रों को बनाने की कला बहुत कम समय में सीखने में रुचि दिखाई है।  

मानो बोल पड़ेंगे चित्र

अथर्व, प्राकुल, अगम्या, आध्या, राशि, फाल्गुनी, अन्वेशा, प्रियाली आदि के चित्रों की गहराई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें इंडिया के विभिन्न स्टेट्स के कल्चरल एवं सामाजिक ताने-बाने को कुछ इस तरह से बुना गया था कि देखने में ऐसा लगा मानो वे रीयल में हों। इसके अलावा देशभर की खास चीजों एवं प्रबुद्धजनों को भी चित्रों के माध्यम से बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाया गया। इस दौरान बच्चों के पैरेंट्स भी मौजूद रहे।  

ऐसे समय जब कला का लोप होता जा रहा है। तब बच्चों की आर्ट में दिलचस्पी और उनका हुनर देखकर खुशी होती है। उस पर जब सराहना मिले तो क्या कहने. 

पूजा श्रीवास्तव, टीचर

लोग हमारे चित्र को देखकर तारीफ करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। मेरी तो पूरी कोशिश है कि और बेहतर करके दिखा सकूं।

जाह्नवी पांडे

गैलरी में चित्र और भी खिल उठे हैं। हमारे टीचर्स ने भी हमारे साथ बहुत मेहनत की है। मेहनत सही दिशा में आगे बढ़ती रहे बस मेरा यही सपना है।

जाह्नवी 

 

पहले दिन अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद दूसरे दिन भी हमारी नजरें डटी रहीं। जितने ज्यादा लोगों ने हमें एप्रिसिएट किया। उतना ही हम मोटिवेट हुए।

अनुष्का

 

अभी और सीखने की जरूरत है। हमारे ग्रुप में सभी को पेंटिग्स से बेहद लगाव है। यही रीजन है कि हम इतना बेहतर कर पाए।

गौरी