पेरिस (एएनआई)। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) टेरर फंडिंग पर लगाम नहीं कसने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ पाकिस्तान का नाम 'डार्क ग्रे' लिस्ट में डाल सकता है। एफएटीएफ 18 अक्टूबर को पाकिस्तान पर इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। सूत्रों ने कहा कि इस्लामाबाद एफएटीएफ के सभी सदस्यों द्वारा पर्याप्त उपाय करने में विफल रहने के चलते अलग-थलग पड़ जाएगा। बता दें कि पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ द्वारा ग्रे सूची में रखा गया था और 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना के कार्यान्वयन को पूरा करने के लिए 15 महीने का समय दिया गया था। ऐसा अनुमान है कि एफएटीएफ पाक को 27 कार्ययोजना में से सिर्फ छह पर मामूली कार्रवाई में पास कर सकता है।

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डार्क ग्रे लिस्ट मतलब किसी देश को आखिरी मौका

एफएटीएफ के नियमों के अनुसार, 'ग्रे' और 'ब्लैक' लिस्ट के बीच एक आवश्यक चरण है, जिसे 'डार्क ग्रे' कहा जाता है। यह एक मजबूत चेतावनी जारी करने का विकल्प है ताकि संबंधित देश को सुधार करने का एक आखिरी मौका मिले। इसी बीच, पाकिस्तान अपने पक्ष में नतीजों को प्रभावित करने के लिए अन्य देशों से साथ देने का अनुरोध कर रहा है। खास बात यह है कि इस साल एफएटीएफ की अध्यक्षता पाकिस्तान का सहयोगी चीन कर रहा है। अगर पाकिस्तान को डार्क ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है तो उसकी मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद मिलनी मुश्किल हो जाएगी। बता दें कि रविवार से शुरू हुई एफएटीएफ प्लेनरी की बैठक में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। बैठक में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक तथा अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। एफएटीएफ मनी लांडिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखता है।

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