पेरिस (पीटीआई)। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम नहीं कसने को लेकर फिर से अपनी 'ग्रे' लिस्ट में डाल दिया है। इसके साथ उसने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर विषयों पर गंभीरता से कार्रवाई में नाकाम रहने के लिए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी दी है। एफएटीएफ ने अपनी पांच दिवसीय प्लेनरी के बाद यह निर्णय लिया है, जो पेरिस में संपन्न हुआ। उसने पाकिस्तान को अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए फरवरी, 2020 तक का मोहलत दिया है। यदि पाकिस्तान 'ग्रे लिस्ट' या 'डार्क ग्रे' लिस्ट में बना रहता है, तो उसे आईएमएफ, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना बहुत मुश्किल होगा, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।

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पाक ने सिर्फ पांच कार्य योजनाओं पर की मामूली कार्रवाई

शुक्रवार को पेरिस में एफएटीएफ प्लेनरी ने कहा कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की, उसने 27 कार्ययोजना में से सिर्फ पांच पर मामूली कार्रवाई की। एक अधिकारी ने एफएटीएफ की घोषणा के बारे जानकारी देते हुए बताया, 'संस्था ने सर्वसम्मति से फिर से यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा और इसके साथ पाकिस्तान को चेतावनी भी दी गई है कि अगर वह तय समय सीमा में अपनी सभी कार्य योजना को पूरा नहीं करेगा तो उसके खिलाफ एफएटीएफ सख्त कदम उठाएगा।' बता दें कि एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका निर्माण 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ द्वारा ग्रे सूची में रखा गया था और 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना के कार्यान्वयन को पूरा करने के लिए 15 महीने का समय दिया गया था लेकिन इसका कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया।

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