जानकारी है कुछ ऐसी
गौरतलब है कि 1947 में यह समुदाय देश की स्थापना होने के बाद से एक विवाह कानून के लिए लगातार संघर्ष करता आ रहा है। यहां इस संबंध में कानून के अभाव में पाकिस्तान में हिंदू विवाह को न तो असल मायने में कानूनी मान्यता मिल पाती है और न ही उनका पंजीकरण हो सकता है। ऐसे में यहां हिंदू विवाह को भला कैसे मान्य माना जा सकता है।

इस्लामाबाद में हुई बैठक
बताया गया है कि हिन्दू विवाह के पंजीकरण को औपचारिक करने के कानून पर चर्चा की जानी है। इसको लेकर उन्हें अंतिम रूप देने के लिए चौधरी मोहम्मद बशीर विर्क की अध्यक्षता में विधि, न्याय व मानवाधिकार मामलों पर नेशनल असेंबली की स्थाई समिति की बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक इस्लामाबाद में की गई।

अब 13 तारीख का इंतजार
इस्लामाबाद में हुई इस बैठक में समिति ने इसपर फैसले को अगली 13 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। याद दिला दें कि बीते साल हिन्दू विवाह विधेयक को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद रमेश लाल व सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग के दर्शन ने संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया था। फिलहाल अब इसकी अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी, तब सामने आएगा कि आगे भी इसको लेकर कोई फैसला निकलता है या फिर से ये अधर में लटक जाता है।

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