28 को मनाई जाएगी पितृ विसर्जन अमावस्या, व्हाट्सऐप पर हो रही एडवांस बुकिंग

वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन बुकिंग और वीडियो कॉलिंग पर पूजा पाठ की व्यवस्था

Meerut। जो भी पितृपक्ष के दिनों तक श्राद्ध का तर्पण या पितरों की संतुष्टि के उपाय नहीं कर पाते हैं, वह अमावस्या पर पितरों का पिंडदान कर सकते हैं। इस बार 28 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है जिसके लिए कुछ लोग व्हाट्सऐप पर तो कुछ लोग वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन पंडितों की बुकिंग कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिंडदान और श्राद्ध पूजा के लिए 100 से ज्यादा ऑनलाइन वेबसाइट मौजूद हैं। रजबन निवासी अनिता सिंह ने बताया कि उन्होनें पंडित जी को व्हाट्सऐप पर मैसेज करके टाइम लिया है। वहीं अरुण ने बताया कि पंडित जी से व्हाट्सऐप पर बात हो चुकी है वो अपने किसी शिष्य को भेज देंगे।

डिजिटल पूजा का है क्रेज

इन दिनों डिजिटल पूजा के लिए भी बुकिंग हो रही है। पंडितों को अपना आचार्य नियुक्त कर लोग उन्हें डिजिटल पूजा के लिए बुक कर रहे हैं। इसमें पंडित पूजा का पूरा कार्यक्रम अपने यजमान के लिए वीडियों कॉलिंग के माध्यम से करते हैं। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से ही पंडित अपने यजमान को पिंडदान के साथ आहूति देने के साथ मंत्रों का उच्चारण करवाने समेत सभी जरूरी क्रिया-कलाप भी करवाते हैं।

पितरों को विदा करने की तिथि

ज्योतिष भारत ज्ञान भूषण का कहना है कि 28 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की तिथि होती है। श्राद्धपक्ष के 15 दिनों तक पितृ घर में विराजते हैं और अगली पीढ़ी उनकी सेवा करती है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन भूले बिसरे सभी पितरों का श्राद्ध कर उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने से अगली पीढ़ी तक अपने से बड़ों की स्मृति बनाए रखने के संस्कार जाते हैं। जब आप पुरखों का स्मरण करते हैं तो एक तरह से उस परंपरा को याद करते है।

दान का विशेष महत्व

यूं तो हर अमावस्या पर दान का विशेष महत्व हैं लेकिन सर्वपितृ अमावस्या पर दान अवश्य करें। चाहे आप श्राद्ध के अधिकारी हैं या नहीं। चाहे आपने अपने पितरों का किसी और दिन श्राद्ध क्यों न किया हो लेकिन सर्वपितृ अमावस्या को हर जातक को दान करना चाहिए।

इस बार कुछ ऐसे यजमान हैं जो दूरस्थ स्थानों पर हैं और वहां श्राद्ध की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने पिंडदान के लिए व्हाट्सऐप पर एडवांस बुकिंग की है। हम वीडियो कॉलिंग के जरिए उन्हें पूरे विधि के साथ पूजा करवाएंगे।

चिंतामणि जोशी, पूर्व प्रिंसिपल, विल्वेश्वर नाथ मंदिर

कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने हाथों से ही पिंडदान करें। मगर जो लोग ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं वह ऑनलाइन बुकिंग करना रहे हैं।

पंडित अरुण शास्त्री, अन्नपूर्णा मंदिर