RANCHI (7 Feb)

रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को सरल और सहुलियत भरा बनाने के लिए इन दिनों कई प्रयास किए जा रहे हैं। टै्रफिक डिपार्टमेंट की ओर से चलाए जा रहे अभियान से लोगों की उम्मीदें जरूर बढ़ी हैं, लेकिन सुचारू व्यवस्था को हमेशा के लिए कायम रखने के लिए वे और भी कई स्तर पर उम्मीदें लगा रहे हैं। सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था और उसमें आ रहे बदलाव पर आई नेक्स्ट ने आई-फा में एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया, जिसमें आई-फा के डायरेक्टर, टीचर और स्टूडेंट्स ने कहा कि नई व्यवस्था पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।

मेट्रो की तरह हो प्लानिंग

रांची की जनसंख्या के हिसाब से यहां मेट्रो जैसी परियोजना लाने की सख्त जरूरत है। बढ़ती भीड़ के कारण पूरी सिटी में कहीं भी जाने-आने के लिए प्रॉपर स्पेस की कमी है। कहीं पार्किंग नहीं तो कहीं बेसमेंट पार्किंग में भी दुकानें गुलजार हो गई हैं। गाडि़यों के बाहर पार्क करने की वजह से आने-जाने वाले लोगों को जाम से दो-चार होना पड़ता है। इसलिए मेट्रो या मोनो रेल जैसी परियोजना को अब जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए।

साबिर हुसैन, डायरेक्टर, आई-फा

सिस्टम को करना होगा फॉलो

कई बार लोग डर से सिस्टम फॉलो कर लेते हैं, लेकिन सख्ती खत्म होते ही फिर वही लापरवाही शुरू हो जाती है। सिस्टम को एक तरीके से फॉलो करने की जरूरत है, जिसे पुलिस पीपल फ्रेंडली बनकर भी कर सकती है। लोग अब भी गाडि़यों में ड्राइवर रखकर रोड साइड गाड़ी पार्क कर शॉपिंग के लिए चले जाते हैं। पुलिस ने देखा तो ठीक वरना तब तक इनकी वजह से दूसरों को जाम का सामना करना पड़ता है।

शगुफ्ता

यू टर्न खतरनाक

ट्रैफिक जाम की वजह से कई बार आधे-आधे घंटे जाम में फंसा रहना पड़ता है। टाइम पर कहीं पहुंच पाने की गुंजाइश नहीं रहती है। मेन रोड में पिछले कुछ दिनों में भले ही ट्रैफिक में सहुलियत हो रही है, लेकिन शाम होते फिर समस्या वैसी ही हो जाती है। मेन रोड काली मंदिर के पास यू टर्न करने में कई बार एक्सीडेंट होते-होते बचती हूं क्योंकि एक साथ चारों ओर से गाडि़यां मनमाने तरीके से आती-जाती हैं।

अंजलि

रातू रोड में सबसे ज्यादा जाम

मुझे डस्ट और फ्यूम्स से सख्त एलर्जी है। हर दिन मुझे घर से निकलते वक्त स्नीजिंग प्रॉब्लम का डर मन में रहता है। जाम, प्रेशर हॉर्न और ट्रैफिक समस्या की जद्दोजहद करनी पड़ती है। खासकर कचहरी से लेकर नागा बाबा खटाल, रातू रोड चौक तक लंबी कतार में गाडि़यों में रहकर जाम खुलने का इंतजार करना पड़ता है। मेरे जैसे कई लोग होंगे जिन्हें ऐसी प्रॉब्लम होगी। काश हर जगह व्यवस्था दुरूस्त होती।

साक्षी खंडेलवाल

सुधार की है जरूरत

स्कूल से लेकर ट्यूशन और क्लास के लिए आने-जाने में हमें सिर्फ मेन रोड ही नहीं बल्कि अपर बाजार, लालपुर एचबी रोड, स्टेशन रोड जैसी जगहों से गुजरना पड़ता है। इन सब जगह ट्रैफिक जाम का नजारा आम है। इन जगहों पर खास तरीके से व्यवस्था लाकर प्रॉब्लम से निजात दिलाने की जरूरत है, ताकि ट्रैफिक प्रॉब्लम दूर हो जाए।

हीरन्याक्षी

वन वे की हो व्यवस्था

मुझे स्कूल जाने-आने में आधे घंटे से लेकर पैंतालिस मिनट का एक्स्ट्रा समय निकालना पड़ता है जो सिर्फ ट्रैफिक प्रॉब्लम को लेकर होता है। फोर व्हीलर्स चलानेवाले भी गाडि़यों को लेकर डेंस एरिया में घूस जाते हैं। उनकी एक गाड़ी की वजह से एक किलोमीटर से भी लंबा जाम लग जाता है। ऐसी जगहों पर बड़ी गाडि़यों की इंट्री पर रोक लगे या वन वे कर दिया जाए।

ऋषभ राजगढि़या

काउंसिलिंग की है जरूरत

धरातल पर फोर लेन जैसी परियोजना तो उतार ली गई, लेकिन सिटी के अंदर वहीं कछुए की चाल वाली व्यवस्था नजर आती है। वन-वे कर देने से या नई रूट प्लान से ही व्यवस्था सही नहीं होगी इसके लिए लोगों में रूल्स फॉलो करने की मानसिकता भी होनी चाहिए। जो लोग रूल्स तोड़ते पकड़े जाएं उनकी प्रॉपर काउंसिलिंग भी हो।

सूर्या प्रताप सिंह

हरमू-अशोक नगर की तरह हो व्यवस्था

पूरी सिटी में जहां ट्रैफिक समस्या को लेकर मारामारी रहती है, वहीं हरमू और अशोक नगर के इलाके कई मायने में और जगहों से बेहतर रहते हैं। स्कूटी चलाते वक्त रातू रोड, कचहरी और एचबी रोड जितना कष्टदायक साबित होता है, उतने ही सुकून से हरमू और अशोक नगर के इलाके में ड्राइव करती हूं। सिटी के अंदर ही बेहतर ट्रैफिक व्यवस्था के उदाहरण देखे जा सकते हैं तो ट्रैफिक पुलिस उसी तर्ज पर और जगहों पर सिस्टम क्यों नही तैयार करती।

माही सिंह

ऑटोवालों पर हो कार्रवाई

स्टैंड के बजाए कई जगहों पर सवारी बैठाने के लिए ऑटो रोके जाते हैं। जहां-तहां ब्रेक मारते हुए वे मनमानी करते हैं और पुलिस के आने की खबर मिलते ही गायब हो जाते हैं। ऐसे में न तो ये पकड़े जाते हैं न ही पुलिस इन पर नकेल कस पाती है और आखिरकार इनकी मनमानी से आम लोगों को दो-चार होना पड़ता है। यही हाल ई-रिक्शा और रिक्शावालों का भी है। चप्पे-चप्पे पर इन पर नजर रख कड़ी कारईवाई की जानी चाहिए।

आमिर

प्रेशर हॉर्नवालों पर कड़ी कार्रवाई

पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की मनमानी और ट्रैफिक रूल्स को तोड़ना, सबसे ज्यादा यहां की व्यवस्था को प्रभावित करती है। बिना परमिट के धड़ल्ले से ऑटो का परिचालन होता है, जो बेखौफ होकर भाड़े के नाम पर ज्यादा पैसे भी वसूलते हैं परेशानी भी देते हैं। ट्रैफिक पुलिस को इसके साथ प्रेशर हॉर्न पर भी लगाम लगानी चाहिए, जो इरिटेशन का सबसे बड़ा स्रोत है।

मोनिका