तय हुआ है कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान हुए तमाम जमीन सौदों की जांच एक उच्चस्तरीय जांच आयोग करेगा जिसका एलान इसी हफ्ते कर दिया जाएगा. आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत न्यायाधीश करेंगे. जांच खासकर उन जमीन सौदों की होगी जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा शामिल हैं.


प्रदेश के शिक्षा व परिवहन मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने साफ कर दिया कि राज्य सरकार वाड्रा के जमीन सौदों की जांच कराने का खाका तैयार कर चुकी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि 15 मई को आयोग बनाने की अधिसूचना जारी हो सकती है. अधिसूचना की कॉपी कुरुक्षेत्र में होने वाली भाजपा प्रदेश कार्य समिति की बैठक के बाद पत्रकारों को वितरित कर दी जाएगी.

अशोक खेमका की चार्जशीट पर भी राज्य सरकार इसी सप्ताह फैसला लेने वाली है. खेमका के विरुद्ध पिछली हुड्डा सरकार में चार्जशीट दाखिल हुई थी, लेकिन मनोहर सरकार में भी उसे खारिज नहीं किए जाने पर खेमका ने ट्वीट के जरिए अपनी पीड़ा जाहिर की थी. प्रदेश सरकार को वाड्रा डीएलएफ लैंड डील की फाइल से गायब पन्ने भी मिल गए हैं. खेमका ने यह पन्ने गायब हो जाने का मामला उठाया था.

इस जांच पैनल की अगुवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज स्वतंत्र कुमार सरकार की पहली पसंद हैं. सूत्रों की माने तो उनका नियुक्ति पत्र भी तैयार किया जा चुका है. इसकी पुष्टि करते हुए राज्य के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज ने कहा कि राहुल गांधी के सूट-बूट वाले जीजाजी रॉबर्ट वाड्रा की जांच होगी. राज्य सरकार ने जांच की पूरी जानकारी केंद्र को भेज दी है और जांच आयोग पर आखिरी मुहर केंद्र सरकार लगाएगी.

गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर कांग्रेस द्वारा दबाव बनाने के कारण मोदी सरकार बैकफुट पर है. हरियाणा सरकार के इस कदम को कांग्रेस को आइना दिखाने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. बुधवार को राहुल गांधी ने बिल को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर हमला बोला था. जिसका हरियाणा से संबंध रखने वाले केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने करारा जवाब देते हुए राज्य में हुए भूमि अधिग्रहण को लेकर तत्कालीन हुड्डा सरकार पर घोटाले का आरोप लगाया था.

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