- 20 लाख टन पराली हर साल यूपी में जलाई जाती है

- 150 करोड़ रुपए पराली निस्तारण के लिए बीते साल शासन ने दिए

- 23 जिलों की मोडिस सैटेलाइट से निगरानी

- 5000 हजार रुपए जुर्माना 5 हेक्टेयर पराली जलाने पर

- 10 हजार रुपए जुर्माना 5 हेक्टेयर से अधिक पराली जलाने पर

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फ्लैग : आरयू के प्रोफेसर एके जेटली का शोध विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने किया सिलेक्ट

- शोध का फ‌र्स्ट फेज पूरा, अभी दो और फेज पर चल रहा है शोध

एथेनॉल, ईस्ट और नाएलॉन जैसे प्रोडक्ट होंगे पराली से किए जाएंगे तैयार

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बरेली : खेतों में जलाई जाने वाली पराली अब प्रदूषण नहीं, सबके काम के प्रोडक्ट पैदा करेगी. इप प्रोडक्ट को डिस्ट्रिक्ट ही नहीं बल्कि पूरा देश यूज करेगा. आरयू में प्लांट साइंस डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर एके जेटली के इनोवेटिव आइडिया को प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग ने सिलेक्ट किया है. उनके शोध का फ‌र्स्ट फेज कंप्लीट हो चुका है जबकि सेकंड और थर्ड फेज का काम अभी बाकी है. तीनों फेज का काम पूरा होने के बाद इस परलार्ज स्केल पर काम होगा और देश भर में आरयू के प्रोजेक्ट यूज किया जाएगा.

3 मार्च को मांगा सुझाव

प्रोफेसर जेटली ने बताया कि फरवरी 2015 में उन्होंने पराली को उपयोगी बनाने के लिए परिषद को एक सुझाव दिया था. लेकिन परिषद ने दो वर्ष तक इस सुझाव पर गौर ही नहीं किया. 3 मार्च 2017 में यूपी में जब पराली बड़ा मुद्दा बना तो परिषद ने उनके सुझाव पर इनसे पूछा कि उनके सुझाव से यूपी को पराली जलाने से कैसे छुटकारा मिलेगा. इसके साथ ही परिषद की टीम ने दो बिन्दुओं पर उनसे जानकारी मांगी.

1-कचरे के सूक्ष्म कणों को निकालकर कैसे उपयोगी बनाएंगे

2-यूपी के मेजर वेस्ट को कैसे डिस्क्राइब करेंगे.

निकलेंगे तीन उत्पाद

इस पर प्रोफेसर जेटली ने सात दिन बाद 'प्रोडक्शन ऑफ हाइपर जाइलोलिटिक माइक्रोबियल स्ट्रेन बाई प्रोटोप्लास्ट फ्यूजन फ्रॉम एग्रो वेस्ट एंड देयर रोल इन वेस्ट मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी' विषय पर विस्तार से परिषद को बताया. उन्होंने बताया कि यूपी में जो पराली जलाई जाती है, उससे गैस, एथेनॉल और ईस्ट तैयार किए जा सकते हैं. ये काफी उपयोगी साबित होंगे.

तीन वर्ष में पूरा होगा शोध

प्रोफेसर एके जेटली ने बताया कि एक वर्ष के दौरान शोध का एक वर्ष पूरा हो चुका है. इस फेज में माइक्रो आइसोलेशन का काम पूरा हो चुका है, जिसमें ट्रांसफॉर्मेशन करने वाले बैक्टीरिया और फंगस को अलग कर रिपोर्ट परिषद को भेज दी है. सेकंड फेज में शोध की सक्रियता चेक की जाएगी जबकि थर्ड फेज में हाईपर बनाकर इसकी उपयोगिता पर काम होगा. शोध पूरा होते ही देश भर में इसको इम्प्लीमेंट किया जाएगा.

प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 19 लाख रुपए

प्रोफेसर जेटली ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 19 लाख रुपए खर्च होंगे. एक वर्ष पहले परिषद से छह लाख रुपए मिलने के बाद फ‌र्स्ट फेज का काम शुरू किया था.

इसलिए पराली जलाना खतरनाक

- गन्ना और धान की पराली को जलाने से सल्फर और नाइट्रोजन गैस निकलती है. जो काफी खतरनाक है.

- इसके साथ ही पराली को जलाने से खेत को भी नुकसान होता है.

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बॉक्स : ऐसे पराली होगी उपयोगी

- प्रोफेसर एके जेटली ने बताया कि पराली से सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज, जाइलम और मैनोज मिलता है. इससे एथेनॉल बनाया जा सकता है.

- जाइलम का उपयोग स्लाइड बनाने के काम में लाया जा सकता है. इसमें ईस्ट डालकर एथेनॉल और पॉली एक्रेलेमाइड बनाया जा सकता है, जिससे नॉयलोन, रेजिन और पॉलीएक्रेलेमाइड बनाता है.

- क्रोवियल फूड, बायोगैस और कंपोस्ट भी बनाई जा सकती है.