फिल्म : परीक्षा
कलाकार : आदिल हुसैन, प्रियंका बोस, संजय सूरी, , शुभम
लेखन, निर्माता, निर्देशक : प्रकाश झा
ओ टी टी चैनल : जी 5
रेटिंग : तीन

शिक्षा का भले ही किसी की हैसियत से लेना देना ना हो। मगर शिक्षा प्रणाली उस फर्क को बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ता। परीक्षा की कहानी एक ऐसे लड़के और पिता की कहानी है, जो अपने बेटे को बड़ा अफसर बनते देखना चाहता है। इस क्रम में वह किन-किन परेशानियों से जूझता है और किस तरह संघर्ष करता है। प्रकाश झा ने एक छोटे शहर रांची की कहानी चुनी है, शूटिंग भी वहीं की है। फिल्म में बॉलीवुड ड्रामा नहीं है। सो, फिल्म अच्छे कलाकारों के साथ एक अच्छी फिल्म बन गई है। माना जा रहा है कि फिल्म बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के जीवन के अनुभवों पर आधारित है। पढ़ें फिल्म का पूरा रिव्यु

क्या है कहानी
रांची शहर का परिवेश है। बुच्ची पासवान ( आदिल हुसैन ) वहां रिक्शा चलाता है ।बेटे बुलबुल कुमार( शुभम ) की चाहत है कि वह भविष्य में कुछ अच्छा करे। घर की हालत ठीक नहीं। बच्चू की चाहत है कि बेटा प्राइवेट स्कूल में पढ़े। उसके पास संयोग से पैसे भी आ जाते हैं। लेकिन अधिक दिन के लिए नहीं टिकते। हालात उसे चोर बनने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसे में एक पिता अपने बेटे की नजर में किस तरह सम्मान हासिल कर पाता है या नहीं।बेटे को बड़ा आदमी बनने का सपना पूरा कर पाता है या नहीं फिल्म की कहानी इसी पर आधारित है।

क्या है अच्छा
कहानी एक दम सरलता से दिखाई गई है। कोई शोर शराबा नहीं है। वास्विकता के बेहद करीब पहुंची है कहानी। लोकेशन भी उपयुक्त है और नए कलाकारों को मौके मिले हैं। एजुकेशन सिस्टम पर प्रहार करती है फिल्म। एक संघर्ष शील माता-पिता की कहानी है। लम्बे समय के बाद प्रकाश झा अपने कलेवर में दिखे हैं।

क्या है बुरा
चूंकि हाल ही में इरफ़ान की फिल्म अंग्रेजी मीडियम आई थी तो कुछ हद तक उससे मेल खाती कहानी है। लेकिन परिवेश के अनुसार बदलाव हैं।

अदाकारी
आदिल हुसैन फिल्म की जान हैं। जेड प्लस के बाद इस फिल्म में उन्हें एक अच्छा मौका दिया है। राधिका के किरदार में प्रियंका बोस ने अच्छा अभिनय किया है। बुलबुल के रूप में शुभम ने शानदार काम किया है। संजय सूरी सीमित दृश्यों में जंचे हैं।

वर्डिक्ट : दर्शकों को एक बार फिल्म देखनी चाहिए

Review By: अनु वर्मा

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