पैरेंटिंग सेमिनार में क्वैरीज का एक्सप‌र्ट्स ने दिया सॉल्यूशन

ALLAHABAD: आज के दौर में बच्चों की सही परवरिश बड़ा इश्यू है। पैरेंट्स को बच्चों से तमाम शिकायतें हैं। नंबर कम आने से लेकर समय पर न सोना और टीवी लगातार देखने जैसी समस्याएं पैरेंट्स को परेशान करती हैं। इन्हीं समस्याओं पर बात करने और उनका समाधान देने के लिए आई नेक्स्ट ने शनिवार को इलाहाबाद पब्लिक स्कूल में पैरेंटिंग सेमिनार का आयोजन किया। यहां पैरेंट्स को सुझाव भी मिले और सवाल पूछने का मौका भी मिला।

दोस्त बनकर जानें समस्या

अक्सर पैरेंट्स बच्चों की समस्याओं की लिस्ट बनाकर रखते हैं और उन्हें गलती का अहसास कराते हैं। इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए मनोविज्ञानशाला के एक्सपर्ट डॉ। कमलेश तिवारी ने कहा कि पैरेंट्स को ऐसी आदतों से बचना चाहिए। बच्चे की कमियों को बार-बार याद दिलाएंगे और घर में आने वाले गेस्ट के सामने उसकी चर्चा करेंगे तो बच्चे के अंदर आत्मविश्वास की कमी आएगी। इससे बच्चा उन आदतों को बार-बार दोहरायेगा। गलत आदतों को दूर करने का सबसे सीधा उपाय है कि बच्चे के अंदर पहले ये भावना विकसित करें, कि आप हमेशा उसके साथ हैं। उसके गलत आदतों के नुकसान के बारे में बताएं ताकि वह खुद ही उन आदतों को छोड़ने की कोशिश करे। परीक्षा के दौरान खराब परफार्मेस को लेकर भी बच्चे को डांटें नहीं। किसी की तुलना अपने बच्चे से न करें। इससे पनपने वाली हीन भावना बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है। रिजल्ट खराब हो गया है तो जिस विषय में उसके खराब नम्बर है, उस पर डांटने के स्थान पर जिस विषय में उसने अच्छा किया है उसकी तारीफ करें। इससे वह मोटीवेट होगा और अगली बार बेहतर रिजल्ट देने की हर संभव कोशिश करेगा।

फिजिकल एक्टीविटी से बेहतर रिजल्ट

बच्चों की हेल्दी हैबिट्स की चर्चा करते हुए किंग जार्ज मेडिकल कालेज के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। मनीष राज चौरसिया ने कहा कि आज का बच्चा फिजिकली एक्टिविटी से दूर है। इसका असर उसकी ओवरआल ग्रोथ पर पड़ रहा है। पैरेंट्स को लगता है कि बच्चा बाहर जाएगा तो कई लोगों से मिलेगा और उसकी आदतें खराब हो सकती है जबकि यह भूल जाते हैं कि फिजिकल एक्टीविटी की कमी के कारण बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाएगा। अक्सर सामने आता है कि बच्चे के पैदा होने पर टीके लगवाने के लिए पैरेंट्स सजग होते हैं लेकिन समय बीतने के साथ ही उनका यह एफर्ट कम होता जाता है। कई बार लापरवाह भी हो जाते हैं। आज के समय में 14 साल की उम्र में भी टीके लगवाना जरूरी है जो कई बीमारियों से बच्चों को बचाते हैं।

इकठ्ठा नहीं थोड़ी-थोड़ी देर में खाएं

बच्चों के खान-पान पर अपनी बात रखते हुए मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज की रिसर्च आफिसर डॉ। शांति चौधरी ने कहा कि हमारे जमाने में लोग खान-पान पर ध्यान नहीं देते थे। बेसिकली वह परंपरा खाना खाने की नहीं खाना ठूंसने की थी। इससे शरीर को ज्यादा फायदा नहीं होता। बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाने की आदत डालनी चाहिए। इससे उनका डाइजेशन सिस्टम प्रॉपर वर्क करेगा और खाना उनके शरीर को भी लगेगा। उन्होंने बच्चों को दैनिक क्रिया को लेकर भी सजग रहने की हिदायत दी। मार्निग में फ्रेश होने के बाद दांतों की सफाई, स्नान और वेल ड्रेस होकर ही घर से निकलने को आदत में शामिल किया जाना चाहिए।

शुरुआत में स्कूल के प्रबंधक राजीव मिश्र और प्रिंसिपल ममता मिश्रा ने सभी गेस्ट्स का बुके भेंट करके वेलकम किया। आई नेक्स्ट के समाचार सम्पादक श्याम शरण श्रीवास्तव ने मैनेजर और प्रधानाचार्य को बुके भेंट किया।

बच्चों के हेल्थ के बारे में जो जानकारियां सेमिनार में मिली, वह काफी फायदेमंद है। इसे जरूर फॉलो करुंगा।

कमलेश चन्द्र

प्रोग्राम का हिस्सा बनकर अच्छा लगा। जो बताया गया उसे फॉलो करेंगे ताकि बच्चे को अच्छी तरह समझ सकूं।

अमित जायसवाल

इस प्रकार के आयोजन स्कूलों में टाइम-टाइम पर होने चाहिए। इससे पैरेंट्स की कई प्रकार की प्रॉब्लम दूर हो सकेगी।

ज्योति

अब बच्चों की सभी एक्टीविटी पर पूरा ध्यान देंगे। नेक्स्ट टाइम फिर से ऐसे कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला, तो प्रॉब्लम को शेयर करेंगे।

प्रीति जायसवाल

आई नेक्स्ट को थैंक्यू कि ऐसा आयोजन उन्होंने कराया। कार्यक्रम काफी फायदेमंद है। सभी पैरेंट्स को इससे जरूर लाभ होगा।

विपिन

एक्सप‌र्ट्स ने कई समस्याओं का समाधान दे दिया है। अब समझ में आया कि पैरेंटिंग कितनी कठिन है।

अंजू केसरवानी

बच्चों की मानसिकता को समझने के लिए इस तरह का आयोजन बेहद लाभकारी रहा। ऐसा आगे भी होते रहना चाहिए।

नरेश सोनकर

अभी तक बच्चों की प्रॉब्लम को हम उनकी लापरवाही समझते थे। सेमिनार को अटेंड करने के बाद समझ में आया कि उन्हें हैंडिल कैसे करें।

शैलेश उपाध्याय

पैरेंटिंग जैसे इश्यू पर बात करना अच्छा प्रयास है। ऐसे आयोजनों को बढ़ावा मिलना चाहिए ताकि पैरेंट व बच्चे के बीच गैप न बने।

पुष्पराज सिंह