-बच्चों की जान को खुद खतरे में डाल रहे हैं पेरेंट्स

-बाइक दौड़ा रहे स्कूली बच्चों पर पुलिस भी नहीं करती कार्रवाई

बरेली:

स्कूल्स और कॉलेजेज में कुछ सीखने की उम्र में स्टूडेंट्स ट्रैफिक रूल्स ब्रेकर बन रहे हैं. इसमें स्टूडेंट्स ही नहीं पेरेंट्स भी पीछे नहीं हैं. टै्रफिक रूल्स तोड़ रहे स्टूडेंट्स और पेरेंट्स के खिलाफ एक्शन लेने को पुलिस प्रशासन भी तैयार नहीं है. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने थर्सडे को शहर के मेन चौराहों पर इसकी हकीकत जानी तो अधिकांश नाबालिग स्कूली बच्चे ट्रैफिक रूल्स ब्रेक करते नजर आए.

अधिकांश ट्रिपल राइडिंग

शहर के निजी स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स कक्षा आठ से ही बाइक और स्कूटर से स्कूल जा रहे हैं. जिसमें कई तो ट्रिपल राइडिंग भी करने में लगे हैं. ट्रिपल राइडिंग करने में स्टूडेंट्स के साथ उनके पेरेंट्स भी पीछे नहीं है. यहां तक पेरेंट्स तीन बच्चों को बैठाने के बाद उनके बैग को बाइक के हैंडिल पर लाद लेते हैं. ऐसे में बाइक का हैंडिल भी टर्न करना मुश्किल सा लगता है. ऐसे में जब कोई हादसा होता है तभी ट्रैफिक रूल्स याद आने लगते हैं. इसके साथ शहर के चौराहों पर खड़ी ट्रैफिक पुलिस भी कार्रवाई करने से बचती रहती है. इसीलिए स्कूल में पढ़ने वाले नाबालिग स्टूडेंट्स रूल्स तोड़ते हुए वाहन दौड़ाते रहते हैं.

पार्किंग में लगाते हैं बाइक

नाबालिग स्टूडेंट्स बाइक लेकर आते हैं तो स्कूल उन्हें बाइक सहित कैंपस में एंट्री नहीं देता है. इससे बचने के लिए स्टूडेंट्स स्कूल के आसपास ही अपने वाहन को किसी शॉप या फिर पार्किंग में लगा देते हैं और फिर पैदल स्कूल पहुंचते है. वापसी में फिर से बाइक पर दोस्तों के साथ निकलते हैं. बाइक और स्कूटी से स्कूल आने वाले बच्चों से कमाई करने के लिए कई लोगों ने स्कूल के पास ही पार्किंग बना ली हैं. जो रुपए लेकर वाहन को खड़ा करते हैं.

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बच्चों की सबसे अधिक सिक्योरिटी पेरेंटस को देखना चाहिए. क्योंकि बच्चा बाइक लेकर निकलता है तो पेरेंट्स की नॉलिज में होता है. साथ ही ट्रैफिक पुलिस को देखना चाहिए कि कोई बच्चा स्कूल यूनिफार्म में मिले तो पहले उसका डीएल वाहन के पेपर्स आदि चेक करना चाहिए. ताकि स्टूडेंट्स में भय रहे.

हेमंत जोशी, क्रिएथिक्स डायरेक्टर

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जो बच्चे बाइक लेकर घर से निकलते हैं. उसमें पेरेंट्स की सहमति होती है, वह कुछ पैसे बचाने के लिए बच्चों की लाइफ से खिलवाड़ करने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके लिए पेरेंट्स को ध्यान देना होगा क्योंकि पेरेंट्स ध्यान देंगे तो बच्चों की लाइफ खतरे में डालने से बचा सकते हैं.

रूमा गोयल, एमडी एसआर इन्टरनेशनल स्कूल

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-अब एक माह बाद स्कूल बंद हो जाएंगे, इसीलिए वैन से बच्चों को भेजना बंद कर दिया. क्योंकि छुट्टी के पूरे माह के रुपए देने पड़ते हैं. इसीलिए बाइक से दोनों बच्चों को छोड़ने के लिए चला आता हूं.

रंजीत, सिविल लाइंस

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बच्चों को जो पेरेंट्स बाइक देते हैं उन्हें खुद पहले ध्यान देना होगा. कि बच्चा बालिग है या नहीं. बच्चा नाबालिग है और उसका डीएल नहीं है तो उसको बाइक कतई नहीं देना चाहिए. पुलिस को भी इसके प्रति गंभीर होने की जरूरत है.

प्रेमा, सैटेलाइट

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पुलिस को सबसे पहले चेकिंग प्वाइंट बढ़ाने चाहिए. क्योंकि जब शहर में चेकिंग प्वाइंट बढ़ेंगे तो जो बच्चे बाइक लेकर आते हैं वह बाइक चेंकिग कार्रवाई के डर से नहीं लाएंगे. इसके साथ जो नाबालिग बच्चा बाइक लेकर स्कूल पहुंचे उसे एंट्री नहीं दी जानी चाहिए.

अंजू सुभाषनगर