-इंग्लिश स्कूल्स व दुकानदारों के बीच कमीशनखोरी का खेल जारी

-निर्धारित दुकानों से ही ड्रेस खरीदने के लिए बनाया जा रहा प्रेशर

-पेरेंट्स ने डीएम से की शिकायत, जांच का आदेश

VARANASI

नए सेशन के लिए घंटी बजते ही किताब-कॉपी व ड्रेस की दुकानों पर भीड़ उमड़ने लगी है। कई स्कूल्स ने किताब कॉपी की लंबी-चौड़ी लिस्ट भी पेरेंट्स को पकड़ा दी है। लिस्ट के साथ किताब-कापी व ड्रेस खरीदने के लिए दुकानदार के नाम का कार्ड भी थमा दिया गया है। यही नहीं कई स्कूल्स पेरेंट्स पर निर्धारित दुकानों से ही किताब-कापी व ड्रेस खरीदने के लिए प्रेशर भी बना रहे हैं। परेशान पेरेंट्स ने इसकी शिकायत डीएम से की है।

पीएम से बीएसए तक

पेरेंट्स ने अपनी शिकायत पीएम, सीएम व बीएसए तक से की है। शिकायत में उन्होंने प्राइवेट स्कूल्स पर शुल्क नियामक अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन का अरोप लगाया है। पेरेंट्स का कहना है कि किताब, कापी व ड्रेस को लेकर अब भी कुछ दुकानदारों की मोनोपोली बनी हुई है। न चाहते हुए भी पैरेंट्स इन निर्धारित दुकानों पर ही किताब, कापी व यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य हैं। आरोप है कि स्कूलों व दुकानदारों की मिली भगत से कमीशन का खेल जारी है। इन दुकानों पर 200 का बैग 800 रुपये में मिल रहा है। इसी तरह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें प्रिंट दर पर बेची जा रही हैं। बच्चों के भविष्य को देखते हुए अभिभावक खुल कर सामने नहीं आ रहे हैं। बहरहाल बीएसए राकेश सिंह ने पेरेंट्स की शिकायत को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इसकी जांच एबीएसए को सौंपी है।

हर साल बदल जाता है ड्रेस

सभी स्कूल्स में एक ही बच्चों को कई तरह के यूनिफार्म खरीदना पड़ता है। स्कूल्स में स्पो‌र्ट्स-डे के लिए अलग रंग का ड्रेस निर्धारित है। बच्चों को बुधवार या शनिवार को लोअर व टी-शर्ट में स्कूल जाना होता है। ऐसे में न चाहते हुए बच्चों को दो तरह का ड्रेस लेना होता है। इसके अलावा हाउस के हिसाब से टाई-बेल्ट का रंग अलग-अलग होता है। वहीं गर्मी व जाड़े के लिए बच्चों को अलग-अलग ड्रेस लेना पड़ता है।

ये है नियम

-किसी विशेष दुकान से बच्चों को किताब-कापी, ड्रेस खरीदने के लिए नहीं करेंगे बाध्य

-स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का अगली क्लास में नहीं लगेगा एडमिशन फीस।

-स्कूल कैंपस में किताबें, जूता-मोजा, ड्रेस सहित अन्य का स्टॉल लगाने की इजाजत नहीं है

-पांच साल के अंदर ड्रेस नहीं किए जाएंगे परिवर्तित

-एक बार ही लिया जाएगा बच्चों से रजिस्ट्रेशन शुल्क

-वैकल्पिक क्रिया कलापों, सुविधाओं, परिवहन, बोर्डिंग, मेस, शैक्षिक भ्रमण, काशनमनी शुल्क लेने का होगा अधिकार

- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के सापेक्ष प्लस पांच परसेंट की दर से शुल्क वृद्धि करने की होगी अनुमति

- मनमाने शुल्क वसूली पर अभिभावकों को शिकायत दर्ज कराने का होगा अधिकार

- शिकायत सही मिलने पर एक से पांच लाख अर्थदंड से मान्यता समाप्त करने का भी प्रावधान