PATNA : राजधानी दिल्ली ही नहीं अब पटना में भी सांस लेना दूभर हो गया है। यहां की आबो-हवा जहरीली हो गई है। यहां तय मानक से ढ़ाई गुना अधिक प्रदूषण है। हवा में तैर रहे धूलकणों की मात्रा ने सांस की बीमारियों से पीडि़त लोगों की संख्या बढ़ा दी है। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गो पर इसका खासा असर दिख रहा है। पीएमसीएच में इन दिनों 70 प्रतिशत पेशेंट सांस संबंधी बीमारियों से जुड़े आ रहे हैं।

संास की नली में सिकुड़न

प्रदूषण से सांस की नलियों में सिकुड़न की शिकायतें आ रही हैं.पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ। बीके चौधरी का कहना है कि प्रदूषण के साथ मौसम में बदलाव के कारण भी सांस संबंधी शिकायतें बढ़ीं हैं। सांस की नली सिकुड़ने से लोग दम फूलने की शिकायत कर रहे हैं। सांस लेने में परेशानी होने से लोगों में बेचैनी की शिकायत भी बढ़ रही हैं.खासकर बच्चे तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं।

ढाई गुणा ज्यादा प्रदूषण

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के प्रवक्ता वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि पटना के वातावरण ढाई गुणा ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया जा रहा है। सामान्यत: वातावरण में श्वसन योग्य धूलकण की मात्रा क्00 माइक्रोन प्रति घनमीटर होती है, लेकिन वर्तमान में पटना के वातावरण में इसकी मात्रा ख्फ्ख्.ब्म् माइक्रोन प्रति घनमीटर है।

क्त्रस्ङ्क वायरस कर रहा सपोर्ट

पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि मौसम में

बदलाव का असर बच्चों पर बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है.अभी का तापमान आरएसवी वायरस को सपोर्ट कर रहा है। इस वायरस के कारण बच्चे सांस संबंधी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

धूप निकलने के बाद ही टहले

पीएमसीएच के सुपरीटेंडेंट डॉ। लखीन्द्र प्रसाद का कहना है कि अभी ठंड के कारण सूर्योदय से पहले टहलना काफी खतरनाक हो सकता है। खासकर बीपी, सुगर, एवं हार्ट के रोगियों को ऐसे मौसम में विशेष सावधान रहने की जरूरत है। धूप निकलने के बाद ही घर से बाहर निकलें। वातावरण में थोड़ी गर्मी आने पर ही टहलना शुरू करें।

बच्चों का रखें विशेष ख्याल

बच्चों को ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर न ले जाएं।

देर रात बच्चे को घर से बाहर ले जाने से परहेज करें।

रात में बच्चों को बाहर ले जाना हो तो पूरा शरीर ढंककर रखें।

रात में सोते समय बच्चों को चादर जरूर ओढ़ाएं।

तीन दिन से ज्यादा बुखार रहने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।

बच्चे की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें