-पैसेंजर्स की सुविधा के लिए उठाए गए कई कदम
GORAKHPUR: कोई भी शहर तभी प्रोग्रेस कर सकता है जब वहां तक पहुंचने का मार्ग आसान हो। इसमें कहीं कोई शक नहीं है कि दस साल पहले के गोरखपुर में अब काफी बदलाव हुए हैं। गोरखपुर को हर बड़े शहर से फोर लेन मार्ग से तेजी से जोड़ा जा रहा है। पहले हमें लखनऊ पहुंचने में सुबह से शाम हो जाती थी, वहीं अब इस दूरी को हम कुछ ही घंटों में पूरा कर लेते हैं। साथ ही शाम तक हम चाहें तो वापस भी आ सकते हैं। इसी तरह रोडवेज भी पहले से अधिक हाइटेक हुआ हैं। यहां पर साधारण के साथ ही एसी बसों का भी अधिक आप्शन है। साथ ही शहर में मेट्रो चलाने की कवायद भी तेज हो चुकी है।
बीत गया दस साल फिर भी बुरा हाल
यातायात से जुड़ी कुछ ऐसी भी जगह है जो आज भी अपने पुराने ढर्रे पर है। उसमें ज्यादा कुछ बदलाव नहीं हो सका है। अब आप रेलवे बस स्टेशन का ही हाल देख लीजिए। यह बस अड्डा जैसा दस साल पहले था वैसा आज भी दिखता है। इसे बनाने के लिए कई सरकारों ने कवायद भी शुरू की। लेकिन वो केवल कागजों में दब कर रह गई। हाइटेक बस स्टेशन बनाने के लिए कई वर्षो से जो प्रयास हुए हैं, इसकी वजह से यहां और कोई काम नहीं हो सका। जिसके कारण इसकी बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो गई। इम्प्लाई की माने तो ये कभी भी गिर सकती है।
दो बस स्टेशन का हुआ निर्माण
गोखपुर में पहले दो बस स्टेशन थे। जिसमें रेलवे बस स्टेशन अभी भी जर्जर हालत में है। वहीं दूसरा कचहरी बस स्टेशन नए स्टाइल में बनकर तैयार हो गया। जहां से पैसेंजर्स को प्रयागराज, बनारस के लिए बसें मिल रही हैं। यही नहीं नौसड़ में परिवहन निगम पैसेंजर्स की सुविधा के लिए एक और बस स्टेशन तैयार किया है। यहां से भी पैसेंजर्स बसें पकड़ सकते हैं।
आज भी वही हाल
आज से दस पहले लखनऊ और बनारस पहुंचने में करीब 6-7 घंटे लगते थे। लेकिन लखनऊ रूट पर फोरलेन बनने से ये राह अब केवल 4 घंटों में कट जाती है। वहीं बनारस रूट का हाल तो अब पहले से भी बुरा हो गया है। इस रास्ते डेली गुजरने वाले कमर दर्द और घुटने दर्द के पेशेंट हो जा रहे है। गोरखपुर से बनारस पहुंचने में 7-8 घंटे लग जा रहे हैं। जबकि बनारस लखनऊ से भी नजदीक है।
ये रूट हो गई फोरलेन
महाराजगंज, सोनौली और कुशीनगर पहले सिंगल रोड से जाना पड़ता था। इसके कारण एक्सीडेंट भी होते थे। समय भी अधिक लगता था। लेकिन इन रूटों पर फोरलेन बनने के बाद ये रास्ता भी आसान हो गया है।
शहर में दौड़ेगी मेट्रो
सीएम सिटी को हाइटेक बनाने के लिए अब यहां से मेट्रो को चलाने की कवायद शुरू हो गई है। इससे शहर में दौड़ रही लाखों गाडि़यों की संख्या में कमी आएगी। साथ ही जाम से भी मुक्ति मिलेगी। इसके लिए मेट्रो का डीपीआर तैयार कर लिया गया है।
पिंक बस से महिलाओं की सुरक्षा
अभी तक दूर के सफर में महिलाओं को कहीं भी आने-जाने में डर लगता था। लेकिन अब रोडवेज की पिंक बस सेवा जो केवल महिलाओं के लिए है। इससे महिलाएं भी निडर होकर कहीं भी बस का सफर कर रही हैं।
ये हुए बदलाव
-शहर के अंदर मेट्रो दौड़ाने की कवायद तेज।
-हर रूट को फोर लेन में परिवर्तन।
-शहर के अंदर की रूट भी चौंड़ी हुई।
-ऑर्डिनरी के साथ एसी बसों की संख्या में वृद्धि।
-पिंक बस की सुविधा।
-दो नए बस स्टेशन का निर्माण।
-बसों में सुरक्षा के लिए लगाई गई पैनिक बटन।
-दुर्घटना ना हो इसके लिए बसों की होती है जांच।
-इंटरनेशनल बस सेवा के रूप में काठमांडू के लिए डाएरेक्ट बस।
ये नहीं बदला
-आज भी बदहाल है गोरखपुर बस स्टेशन।
-बदहाल है गोरखपुर टू बनारस रूट।
-लोकल पैसेंजर्स के लिए लोकल रूट पर बसों की कमी।
-आज भी हो रहा है हर रूट पर डग्गामार बसों का संचालन।
-बिहार रूट पर बसों की कमी।
गोरखपुर रीजन में बस स्टेशन-8
रीजन में बसों की संख्या-750