- जान हथेली पर लेकर यात्री कर रहे सरकारी और प्राइवेट बसों में सफर
- बरेली में हो चुके हैं बस हादसे, फिर भी अभी तक नहीं लिया गया सबक
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बरेली : रोडवेज में सफर खतरे से खाली नहीं है। बसों की हालत देखकर तो यही लगता है। ज्यादातर बसों में न तो वाइपर हैं और न ही आग बुझाने के इंतजाम हैं। ऐसे में किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। बसों की मौजूदा हालत को देखने के लिए वेडनसडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने रिएलिटी चेक किया। कई बसों में स्टेयरिंग के नीचे वायरिंग खुली मिली, जिसमें जगह-जगह टेपिंग की गई थी। बारिश के दौरान पानी जाने से इसमें शॉर्ट सर्किट होने से कभी भी आग लग सकती है। बसों में आग बुझाने के लिए लगे फायर एक्सटिंग्यूशर भी खराब पड़े हैं।
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इमरजेंसी गेट का लॉक खराब
लीडर रोड डिपो की बस संख्या यूपी 70 ईटी-9970 में ड्राइवर की सीट के पास बस के फ्लोर खस्ता हालत में थे। बस की ज्यादातर विंडो में लगी रबर सील घिस जाने से शीशे हिलते मिले। बस में लगा इमरजेंसी गेट खराब था। इमरजेंसी गेट में लॉक तो लगा था, लेकिन गेट टेढ़ा होने के कारण काम नहीं कर रहा था, सिर्फ एक चटखनी के सहारे इमरजेंसी गेट रुका हुआ था। ऐसे में कोई पैसेंजर्स इस इमरजेंसी गेट के सहारे टिक कर बैठ गया तो हादसे का शिकार हो सकता है।
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एक्सीलेटर की जगह पटरा लगाया
बरेली डिपो की खुदागंज-पीलीभीत रूट की बस में क्लच, एक्सीलेटर और बे्रक पैडल दबाने के लिए बार-बार पैर उठाने की परेशानी से बचने के लिए ड्राइवर ने पटरा लगा लिया। इसके साथ बस की सीटें भी खस्ताहाल दिखीं और साइड विंडो के शीशे भी हिल रहे थे।
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वायरिंग में हो सकता शॉर्ट सर्किट
बरेली डिपो की बस संख्या यूपी 25 एटी 4859 में स्टेयरिंग के पास वायरिंग ओपन थी और इस पर टेपिंग की हुई थी। बस में ड्राइवर के शीशे पर वाइपर भी नहीं लगा हुआ था। इससे ड्राइवर को बारिश में भी बस चलाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
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बदहाल हो गई सीटें
बिलसंडा-बंडा रूट की रुहेलखंड डिपो की बस संख्या यूपी 25 एटी 1342 में एंट्री गेट पर पायदान मरम्मत करके ठीक किए गए थे। सीटें भी फटी हुई थीं, बस में हथौड़ा स्टैंड तो बना था लेकिन हथौड़ा गायब था। बस में फायर एक्सटिंग्यूशर भी खाली था।
हादसे के बाद दिए गए निर्देश
- हर तीन माह बाद बस ड्राइवर की आंखों की जांच होगी
- बसों के पीछे लगे एंगल को हटाना होगा
- इमरजेंसी गेट की प्रॉपर जांच
- बसों की गति को सीमित रखना
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ये बोले पैसेंजर्स
बस में बारिश के कारण पूरी सीटें भीगी हुई थी। किसी तरह पैसेंजर्स बस में बैठकर सफर करते हैं। रोडवेज तो सिर्फ किराए से मतलब रखता है पैसेंजर्स की सुविधाओं से नहीं।
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बसों में आग से बचाव के लिए तो कोई साधन नहीं। एक छोटा सा फायर एक्सटिंग्यूशर लगा है। वह भी खाली है। जबकि बसों में आजकल कितने हादसे हो रहे हैं इसके बाद भी विभाग नहीं चेत रहा है।
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जिस बस में ड्राइवर कोई कमी बताते हैं उसे तुरंत वर्कशॉप भेजकर मरम्मत कराई जाती है। इसके साथ ही कुछ बसों में बारिश के लिए वाइपर आदि का काम होना है, वह जल्द ही पूरा करा दिया जाएगा।
एसके बनर्जी, आरएम बरेली रीजन