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03 हजार मरीज रोज देखे जाते हैं एसआरएन में

01 घंटे ही चल पाई थी ओपीडी, हो गई हड़ताल

01 बजे के बाद बंद करा दिए गए दवा काउंटर

-बंगाल में हुई घटना की आंच एमएलएन मेडिकल कॉलेज में पहुंची

-जूनियर डॉक्टर्स ने बंद कराई ओपीडी, दवा दुकानों के शटर भी गिरवाए

PRAYAGRAJ: 70 साल की हीरावती को सांस की बीमारी है. उनका ब्लड प्रेशर भी हाई रहता है. शुक्रवार सुबह दस बजे वह अपने बेटे कड़ेशंकर के साथ एसआरएन हॉस्पिटल की ओपीडी पहुंचीं तो काउंटर पर पर्चा बनाने से मना कर दिया गया. क्लर्क ने बताया कि जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल कर दी है. आज मरीज नहीं देखे जाएंगे. यह सुनकर उनके होश उड़ गए. देखा तो चारों ओर मरीज भटक रहे थे और ओपीडी पर ताला लटका था.

अचानक बंद करा दी ओपीडी

बंगाल में सरकारी डॉक्टर के ऊपर हुए जानलेवा हमले का असर पूरे देश सहित एमएलएन मेडिकल कॉलेज पर भी दिखाई पड़ा. सुबह लोगों को अंदाजा होता इससे पहले ही स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल में पहुंचे दर्जनों ने जूनियर डॉक्टर्स ने ओपीडी बंद करा दी. उनका कहना था कि बंगाल में डॉक्टर पर हुआ हमला निंदनीय है और इसके विरोध में आज एक भी मरीज नही देखे जाएंगे.

दवा दुकानें भी बंद कराई

दोपहर एक बजे जूनियर डॉक्टर्स ने एक कदम आगे बढ़कर दवा की दुकानों को भी बंद करा दिया. इससे दवा लेने आए मरीज भी निराश लौट गए. इस दौरान जूनियर डाक्ॅटर्स ने कैंपस में जमकर नारेबाजी भी की. मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों से भी जूनियर डॉक्टर्स ने मुलाकात नही की. प्रिंसिपल ऑफिस से बुलावा आने पर भी कोई बातचीत नहीं हो सकी.

रोजाना देखे जाते हैं तीन हजार मरीज

शुक्रवार सुबह महज एक घंटे ओपीडी चलने के बाद बंद करा दी गई. जिससे हजारों मरीजों को निराश होना पड़ा. सैकड़ों मरीज मजबूरी वश प्राइवेट हॉस्पिटल में चले गए. बता दें कि प्रतिदिन तीन हजार मरीज हॉस्पिटल की ओपीडी में दस्तक देते हैं.

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दो बजे के बाद की अफवाह

तमाम मरीज परेशान थे तभी किसी ने कहा कि दो बजे के बाद डॉक्टर्स मरीज देखेंगे. हालांकि यह झूठ था, लेकिन तमाम मरीज उम्मीद लिए 11 बजे से दो बजे तक बैठे रहे गए. बाद में जब कन्फर्म हो गया कि ओपीडी चलेगी ही नहीं, तब जाकर मरीज अपने घर जाने को राजी हुए.

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आज ठप हो सकता है कामकाज

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि पूरे देश में आईएमए के आह्वान पर ओपीडी बंद रखने का फैसला लिया गया है. अगर बंगाल सरकार ने दोषियों के खिलाफ कड़ा कदम नहीं उठाया तो शनिवार को इमरजेंसी ठप कराई जा सकती है. हालांकि शुक्रवार को वार्ड में जूनियर डॉक्टर्स का कामकाज जारी रहा. इमरजेंसी भी चालू रखी गई थी.

मरीजों की कहानी, उनकी जुबानी

ब्लड प्रेशर और सांस की बीमारी है. मांडा से इस भीषण गर्मी में बेटे कड़े शंकर के साथ आए हैं. यहां पहुंचे तो पता चला कि आज हड़ताल है. इस उम्र में बार-बार हॉस्पिटल आना भी बहुत मुश्किल है.

-हीरावती, मांडा

पेट में जबरदस्त दर्द हो रहा है. इतना पैसा नहीं है कि प्राइवेट में जाकर इलाज कराएं. यहां आए थे कि एक रुपए के पर्चे पर डॉक्टर साहब देखकर दवा दे देंगे. लेकिन अब लग रहा है कि कल तक इंतजार करना होगा.

-वीरेंद्र गौतम, शेखपुर रसूल

टीबी की बीमारी है और इलाज चल रहा है. पिछली बार डॉक्टर साहब ने दवा में बदलाव किया था. इसलिए आज उसे चेक कराने आए थे. बिना डॉक्टर को दिखाए कैस दवा खा सकते हैं.

-राजनारायण, जौनपुर

सर्जरी होनी है. पिछली बार ओपीडी में दिखाया था तो सर्जरी विभाग में दिखाने को कहा गया था. आज बड़ी मुश्किल से आए हैं लेकिन अब निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है.

-गीता, कुंडा

आठ अप्रैल को आंत का ऑपरेशन हुआ था. अब डॉक्टर को दिखाना था. दवा में भी बदलाव होना था. लेकिन हड़ताल के चलते वापस जाना पड़ रहा है.

-बंचूलाल, जौनपुर