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KANPUR : तेजी से बढ़ते तापमान ने कानपुराइट्स की सेहत बिगाड़नी शुरू कर दी है। सिटी में पहले से ही प्रदूषित पानी का शिकार हो रही पब्लिक पर जार्डिया लैम्बीलिया नाम का जानलेवा बैक्टीरिया मुसीबत बनकर मंडराने लगा है। गर्मियों में ये बैक्टीरिया और भी खतरनाक साबित हो रहा है, जिसका असर शहर के गवर्नमेंट और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में दिखने लगा है। मंडे को हैलट और उर्सला हॉस्पिटल की ओपीडी में इस बैक्टीरिया के शिकार पेशेंट्स की लाइन लगी रही।

खतरनाक बैक्टीरिया ने बढ़ा दी टेंशन

पानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की वजह से जार्डिया लैम्बीलिया नाम का बैक्टीरिया खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है और सही से क्लोरीफिकेशन और वाटर ट्रीटमेंट न होने की वजह से यह वॉटर सप्लाई के जरिए सीधे घरों में पहुंच रहा है। सीनियर फिजीशियन डॉ। बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि हैलट की ओपीडी में रोज तीन से चार सौ पेशेंट आ रहे हैं। इनमें से अधिकतर वॉटर बार्न डिजीज के शिकार पाए जा रहे हैं। इन पेशेंट्स में भी ब्0 से भ्0 पेशेंट ऐसे हैं, जिनमें डायरिया जैसे लक्षण पाए गए है लेकिन बीमारी स्पष्ट नहीं हुई। इन मामलों में डॉक्टर्स इसी तरह के खतरनाक बैक्टीरिया को बीमारी का कारण बता रहे हैं, जिसका असर गर्मी और लू की वजह से और बढ़ गया है। दरअसल माइक्रो बॉयोलॉजिकल पॉल्यूशन की वजह से यह प्रॉब्लम आने वाले दिनों में बढ़ सकती है।

प्रदूषित पानी बड़ी मुसीबत

शहर में दूषित अंडरग्राउंड और सप्लाई वॉटर की समस्या काफी समय से है, लेकिन गर्मियां शुरू होते ही उसका असर भी दिखने लगा है। प्रदूषित पानी में पाए जाने वाले जार्डिया लैम्बीलिया नाम के बैक्टीरिया सहित तमाम खतरनाक बैक्टीरिया की वजह से हॉस्पिटल्स में पेशेंट्स की भीड़ काफी बढ़ गई। गर्मी, लू और प्रदूषित पानी के कॉम्बीनेशन कानपुराइट्स को आगे और भी परेशान करने वाला है। पानी का सही से क्लोरीफिकेशन नहीं होने की वजह से इस बैक्टीरिया का असर बढ़ा है। स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाने वाली जल निगम की रिपोर्ट में भी पानी में प्रदूषण का स्तर खतरनाक बताया गया है।

इंडस्ट्रियल और रेजीडेंशियल दोनों ही एरिया में परेशानी

सिटी के इंडस्ट्रियल एरिया में ग्राउंड वॉटर पॉल्यूशन तो पहले से ही खतरनाक स्तर पर है लेकिन बीते कई सालों से रिवर्स बोरिंग की वजह से कई रिहायशी इलाकों में पानी भी खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हो चुका है। कुछ महीनों पहले आईआईटी की ओर से सिटी के कई इलाकों से वॉटर सैम्पल लिए गए जिनके रिजल्ट काफी चौकाने वाले थे। रेजीडेंशियल इलाकों में भी पानी खतरनाक स्तर तक प्रदूषित पाया गया। इसमें से पनकी, रतनलाल नगर, कल्याणपुर, चकेरी में जाजमऊ से सटे इलाके शामिल हैं। इन इलाकों में पानी में डिजॉल्व और सस्पेंडेड सॉलिड के अलावा आर्सेनिक, क्रोमियम पाया गया। वहीं जिन इलाकों में सप्लाई के जरिए पानी आता है वहां पर भी लेड, आर्सेनिक और मरकरी का स्तर काफी बढ़ा पाया गया।

ये बैक्टीरिया हैं बीमारियों की वजह

-नोरो वायरस, एमीबियासिस, कोलीफार्म , एडीनो वॉयरस, वाइब्रियो, एडीनो बैक्टीरिया, ईकोली।

बीमारियों को ऐसे पहचाने

टायफाइड

- सालमोनेरा टाइफी नाम के वायरस के जरिए होता है

-धीरे-धीरे फीवर बढ़ता है, पसीने में अजीब बदबू और कमजोरी आती है

-तीन हफ्तों में टायफाइड से आंतों में अल्सर हो जाता है,मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है

-बॉडी इनएक्टिव हो जाती है, वामेटिंग, मुंह से खून आना

-भूख नहीं लगने से वजन कम होने लगता है

कालरा

-वीप्रियो कालरी नाम के बैक्टीरिया से होता है

-बार बार लूज मोशन होते हैं,इफेक्शन से वामेटिंग होती है

- डीहाईड्रेशन व पानी की कमी हो जाती है

-हाथ पैरों में एठन होने लगती है

-बीपी लो हो जाता है, डायजेस्ट पॉवर कम हो जाती है

ज्वाइंडिस

-ये इंफेक्टेड और कंटेमिनेटेड वॉटर पीने से होता है

-वॉमेटिंग आती है, आंखें पीली होने लगती है

-खून की कमी, स्टूल का रंग हल्का होना और यूरिन का रंग पीला होने लगता है

-ज्वाइंडिस होने पर एसजीपीटी, एसजीओटी और सीरम बिलिरूबिन का टेस्ट कराना चाहिए।

बचाव के उपाय

- पीने के लिए उबले या फिर फिल्टर्ड पानी का प्रयोग करें

- खुले में बिकने वाले कटे हुए फलों और तलीभुनी चीजों से बचे

- सड़क किनारे बिकने वाले जूस और शिंकजी को पीने से बचे

-डीएनएस भ् परसेंट का घोल पीना चाहिए

-जिंक,पोटेशियम, सोडियम से भरपूर डायट लेनी चाहिए

बीमार हो तो ये करें

-फीवर कंट्रोल करने के लिए ठंडे पानी की पट्टी करे

-पट्टी नहीं करने पर मेनइनजाइटिस होने का खतरा हो सकता है

-ग्लूकोज और इलेक्ट्राल का सेवन करें

-साफ सफाई का ख्याल रखें, आयली खाना अवाइड करें

जलकल विभाग भी जिम्मेदार

जल कल विभाग की ओर से सिटी में की जाने वाली वॉटर सप्लाई में क्लोरीफिकेशन प्रोसेस के बाद कई बार क्लोरीन की मात्रा मानकों से ज्यादा पाई गई है। वहीं जल कल विभाग के कई ओवरहेड टैंकों की सफाई भी ठीक से नहीं होने की वजह से पानी में बैक्टीरिया का स्तर बढ़ने का बढ़ा कारण है।

सिटी में यहां से होती है वॉटर सप्लाई

नलकूप- जरौली फेस-क्, बर्रा-8, गुजैनी- आई सेक्टर, सत्यम विहार, रामबाग पार्क, बेगमपुरवा, बाबूपुरवा

जोनल पंपिंग स्टेशन- पीरोड, बालनिकुंज, ब्रजेंद्र स्वरूप पार्क, एच-ब्लॉक किदवई नगर, मसवानपुर, शारदा नगर, फूलबाग, पीरोड

ओवरहेड टैंक- दामोदर नगर, हंसपुरम, बर्रा-भ्, कृष्णापुरम

प्यूरीफायर की भी अलग कहानी

वाटर प्यूरीफायर के बाजार में कई मल्टीनेशनल और लोकल कंपनियों के प्रोडक्ट्स की रेंज बाजार में मौजूद है। एक हजार रुपए से लेकर फ्0 हजार रुपए तक के प्यूरीफायर और आरओ मौजूद हैं। राजा इलेक्ट्रानिक्स के संजय सिंह बताते हैं कि बड़ी कंपनियों में केंट, वहर्लपूल, गोदरेज, एक्वाश्योर, टाटा, उषा और यूनीलीवर जैसी कंपनियॉ हैं। वहीं छोटी कंपनियों में नसाका, महाराजा आदि के प्यूरीफॉयर भी बाजार में मौजूद हैं। इसमें इलेक्ट्रिकल और टंकी वाले दोनों प्रकार के प्यूरीफायर शामिल हैं।

आरओ और यूवी फिल्ट्रेशन ज्यादा बेहतर

मंहगे प्यूरीफायर में आरओ के अलावा यूवी फिल्ट्रेशन की सुविधा भी होती है। लेकिन इसके फिल्टर भी फ् से चार हजार रुपए तक का आता है। वहीं टंकी वाले प्यूरीफायर में भी भ्00 से हजार रुपए तक का फिल्टर लगता है। जिसकी अपनी क्षमता होती है। आमतौर पर इलेक्ट्रिकल प्यूरीफायर के फिल्टर को ब्,000 लीटर के बाद बदलना पड़ता है। इसके पानी में मीठापन भी होता है। वहीं टंकी वाले प्यूरीफायर के फिल्टर की क्षमता क्,भ्00 लीटर तक होती है।