क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : रिम्स में इलाज कराना कोई मामूली बात नहीं है. वहीं, टेस्ट कराना भी किसी जंग जीतने से कम नहीं है. जी हां, हम बात कर रहे है माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की जहां वायरल लोड टेस्ट करने वाली किट खत्म हो गई है. नतीजन, रिम्स में आने वाले मरीजों का टेस्ट बंद हो गया है. स्थिति यह है कि रोज-रोज कलेक्शन सेंटर का चक्कर लगाकर मरीज और उनके परिजन भी थक चुके हैं. रोज-रोज की समस्या से तंग आकर अब परिजनों ने पैसे लौटाने की गुहार लगाई है. बताते चलें कि रिम्स में टेस्ट बंद होने की स्थिति में टेस्ट की पर्ची कैश काउंटर से नहीं काटी जाती है. लेकिन, यहां ऐसी बात नहीं है. टेस्ट बंद है फिर भी तीन हजार रुपए के टेस्ट के लिए पर्ची काटी जा रही है.

हेपेटाइटीस बी की होती है जांच

वायरल लोड किट से मरीज के हेपेटाइटीस बी का प्रोफाइल टेस्ट किया जाता है. इससे पता लगाया जाता है कि मरीज के बॉडी में कितना वायरस एक्टिव है. इसके बाद मरीज को दवा का डोज दिया जाता है, ताकि वह जल्द से जल्द इस बीमारी से रिकवर हो सके. लेकिन हर दिन सेंट्रल कलेक्शन सेंटर से उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है.

3000 का टेस्ट, चुका रहे 9000

हॉस्पिटल के सेंट्रल कलेक्शन सेंटर में सैंपल कलेक्ट करने के बाद माइक्रोबायोलॉजी में भेज दिया जाता है. लेकिन टेस्ट बंद होने के कारण हर दिन तीन-चार मरीज लौट जा रहे हैं. वहीं कई मरीजों को तो तीन हजार रुपए के टेस्ट के लिए प्राइवेट लैब में 8-9 हजार रुपए भी चुकाने पड़ रहे हैं. इसके बावजूद प्रबंधन मामले को लेकर गंभीर नहीं है.

बायोकेमिस्ट्री टेस्ट भी 10 दिन से बंद

इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बायोकेमेस्ट्री का टेस्ट भी डॉक्टर लिखते है. लेकिन दस दिनों से बायोकेमेस्ट्री की मशीन खराब पड़ी है. इस वजह से एक दर्जन से अधिक जांच नहीं हो पा रही है. इसके लिए भी मरीज अब मेडाल और प्राइवेट लैब के भरोसे है. वहीं जो टेस्ट रिम्स में फ्री में हो सकता है उसके लिए भी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.