-पटना के तीन बड़े अस्पतालों में सबसे कम रजिस्ट्रेशन होते हैं एम्स में

-स्थापना के 6 साल बाद भी एम्स में कई सेवाएं नहीं हो पाई शुरू

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क्कन्ञ्जहृन्: बेहतर इलाज के लिए एम्स का नाम जहां पूरी दुनिया में लिया जाता है। लंबी लाइन और कई दिनों के वेटिंग के बाद डॉक्टर से अप्वाइंटपमेंट मिलता है। वहीं, एक एम्स ऐसा भी है जहां मरीजों की दरकार है। यह एम्स है पटना का। पटना के तीन बडे़ अस्पतालों पीएमसीएच, आईजीआईएमएस और एम्स में जब नए मरीजों के रजिस्ट्रेशन का एनालिसिस किया गया तो सबसे पीछे एम्स नजर आया। जहां पीएमसीएच में हर दिन 2600 नए मरीज आ रहे हैं वहीं एम्स में मात्र 1000 मरीज ही पहुंचते हैं। आज आपको बताते हैं आखिर पटना एम्स इतना पीछे क्यों है।

सड़क पर बन गए हैं बड़े गड्ढे

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब मौके पर जाकर मुआयना किया तो कई कमियां निकलकर सामने आईं। फुलवारी चौक और इससे आगे एम्स की ओर जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। हल्की बारिश से ही सड़क पर जल जमाव हो जाता है। नाला का पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर फैल जाता है। इससे स्थानीय लोग और एम्स पहुंचने वाले पेशेंट को परेशानी होती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 139 पर होने बाद भी सड़क नहीं बन पाई है। सुविधाओं में कमी होने की वजह से एम्स पटना के ओपीडी में हर दिन कम पेशेंट आते हैं। इसके अलावा यहां पर अन्य कई प्रकार की स्पेशलाइज्ड सुविधाओं का अभाव है। ट्रॉमा सेंटर में अभी भी सीमित बेड है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं पटना एम्स इतना पिछड़ा क्यों है।

अभी कनेक्टिविटी की जरूरत

फिलहाल गंगा ब्रिज से एम्स तक एक कॉरिडोर का निर्माण कार्य चल रहा है। यदि यह समय पर पूरा हो जाता है तो कनेक्टिविटी की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। आईएमए के वाइस प्रेसिडेंट, बिहार डॉ। हरिहर दीक्षित ने कहा कि किसी अस्पताल के पेशेंट की संख्या, रजिस्ट्रेशन आदि कनेक्टिविटी से जुड़ा हुआ जरूर है। लेकिन एम्स में मिलने वाली सुविधाएं भी मायने रखती है। सुविधाएं मिलेंगी तभी तो पेशेंट आएंगे।

इमरजेंसी में सिर्फ 7 बेड की है सुविधा

एम्स पटना में इमरजेंसी सेवा को शुरू हुए एक माह हो रहे हैं। यहां पर फिलहाल 7 बेड है। बाकी सुविधाएं भगवान भरोसे हैं। ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉ अनिल कुमार ने कहा कि यहां इमरजेंसी में अभी क्रिटिकल पेशेंट कम ही आ रहे हैं। ज्यादातर सामान्य से लेकर गंभीर चोट वाले पेशेंट ही आते हैं, जिनकी प्रतिदिन की संख्या करीब 40-50 है।

यहां प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत कई सुविधाएं शुरू होनी हैं। इसके लिए प्रयास जारी है। बसों के चलने के बाद पेशेंट का आना कुछ आसान हुआ है।

-डॉ पीके सिंह,

डायरेक्टर, एम्स पटना