पटना उच्च न्यायलय ने बिहार के बहुचर्चित लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के सभी 26 अभियुक्तों को बरी कर दिया है.

उच्च न्यायलय के न्यायाधीश वीएन सिन्हा और न्यायाधीश एके लाल की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए गवाह और

साक्ष्य विश्वसनीय नहीं हैं. इसलिए सभी दोषियों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया जाता है.

स्थानीय पत्रकार अजय कुमार ने बीबीसी को बताया कि अदालत ने कहा कि इस मामले में साक्ष्य का अभाव है. पुलिस ने जो आरोप पत्र दाख़िल किए

हैं उसमें अभियुक्तों को सज़ा देने लायक़ सबूत नहीं हैं. इसके चलते सभी 26 अभियुक्त बरी हो जाएंगे.

अदालत के सामने पुलिस ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिसके आधार पर अभियुक्तों को सज़ा मिल पाए. पुलिस की रिपोर्ट बहुत कमज़ोर थी.

उच्च न्यायलय ने 27 जुलाई को मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।

निचली अदालत ने सुनाई थी सज़ा

एक दिसंबर 1997 को बिहार के ज़हानाबाद ज़िले के लक्ष्मणपुर और बाथे गांव में नरसंहार हुआ था. हमलावरों ने 58 दलितों की हत्या कर दी थी. मारे

जाने वालों में 27 महिलाएं और 16 बच्चे भी थे.

घटना के क़रीब 13 साल बाद 2010 में पटना की एक विशेष अदालत ने 16 लोगों को फांसी और 10 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.

सात अप्रैल 2010 को अतिरिक्त ज़िला और सत्र न्यायधीश विजय प्रकाश मिश्रा ने इस हत्याकांड को 'समाज के चरित्र पर धब्बा और दुर्लभतम

हत्याकांड' बताया था।

लेकिन, अब तीन साल बाद पटना उच्च न्यायलय ने हुए इस नरसंहार के सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया है.

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