पटनाइट्स के लिए आसान नहीं होगा 7.9 रिएक्टर का भूकंप झेलना

- अगर आप भी कहीं ले रहे हैं फ्लैट, तो जरूर डॉक्यूमेंट्स देखकर ही खरीदें

- स्कूल से लेकर हॉस्पीटल तक मानक को नहीं कर पा रहे हैं फॉलो

- दर्जनों एरिया में बिल्डिंग खस्ता हाल, आपदा से निपटना आसान नहीं

PATNA: अगर आप फ्लैट लेने की सोच रहे हैं, तो एक बार जरूर बिल्डर से भूकंप रोधी होने का डॉक्यूमेंट देख लें, अगर आपकी समझ में न आए तो किसी आर्किटेक्ट से जानकारी ले सकते हैं। क्योंकि शहर में निर्माण होने वाली बिल्डिंग किसी भी तरह से भूकंप रोधी नहीं है। कुछेक बिल्डर जरूर यह दावा करते हैं कि 7.5 रिएक्टर स्केल पर भूकंप आने के बाद भी कुछ नहीं होगा। यह कहना पूरी तरह से गलत है। आर्किटेक्ट मानते हैं कि दीवारों को देखकर बहुत कुछ अंदाज नहीं लगाया जा सकता है। बल्कि उसकी नींव यह बयां करेगी कि उस पर भूकंप का असर कितना पड़ेगा। जिस तेजी से नक्शे को बाइपास कर शहर में कंस्ट्रक्शन हुआ है। अगर फिर भूकंप का झटका लगता है तो वैसे बिल्डिंग को बचा पाना मुश्किल होगा और उसमें रहने वाले लोगों की जानमाल की क्षति हो सकती है। ज्ञात हो कि नेपाल में भूकंप से जिस तरह से मौतें हुई है। उससे यहीं लग रहा है कि अगर केन्द्र बिहार में होता तो पटना के विभिन्न हिस्सों में बन चुकी बड़ी-बड़ी कंस्ट्रक्शन को संभाल पाना मुश्किल होता।

गलियों में होगा मुश्किल

जानकारी हो कि पिछले सात सालों में जिस तरह से गलियों में कंस्ट्रक्शन हुआ है। उससे यही लग रहा है कि अगर भूकंप का झटका 7.9 रिएक्टर स्केल के आसपास आता है तो गलियों से लोगों को निकाल पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि दो अपार्टमेंट के बीच और सड़क से दूरी तक सही से निर्धारित नहीं है। जैसे-तैसे कंस्ट्रक्शन हुआ है। आर्किटेक्टवी रमण ने बताया कि कंस्ट्रक्शन के दौरान लॉड बेरिंग स्ट्रेक्चर अगर खराब होता है तो वह जानलेवा हो सकता है। साथ ही बिल्डिंग की फैक्टर ऑफ सेफ्टी पर भी बात होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि हॉस्पीटल, स्कूल सहित तमाम गवर्नमेंट बिल्डिंग से लेकर प्राइवेट बिल्डिंग फेक्टर ऑफ सेफ्टी के अंतर्गत बननी चाहिए।

माइल्ड स्ट्रॉक से बचा सकते हैं

ज्ञात हो कि शहर में जिस तेजी से कंस्ट्रक्शन हो रहा है अगर उसमें भूकंप रोधी नॉ‌र्म्स पर ध्यान नहीं दिया गया तो परेशानी बढ़ सकती है। आर्किटेक्टकी मानें तो सेफ्टी का मतलब सिर्फ बिल्डिंग को बचाना नहीं है। बल्कि बिल्डिंग अगर डैमेज होती है तो उससे लोगों को कैसे आसानी से निकाला जा सके।

नए बिल्डिंग बायलॉज में भूकंप रोधी की है चर्चा

आर्किटेक्ट वी रमण ने बताया कि नए बिल्डिंग बायलॉज में कंस्ट्रक्शन में भूकंप रोधी नॉ‌र्म्स की चर्चा की गई है। इसके तहत जो बिल्डिंग बनेगी, उसमें भूकंप रोधी के बारे में भी बिल्डर को फ्लैट ऑनर को बताना होगा। साथ ही इमरजेंसी के दौरान उतरने और निकलने का रास्ता भी ढूढ़ना पड़ेगा।

Highlights

बिल्डिंग से सड़क पर आए तो भी गए

बारीपथ

बारीपथ एरिया में पांच फीट संकरी सड़क के दोनों किनारे तीन से चार मंजिली मकान बनी है। इस गलियों में फायर सेफ्टी की गाड़ी भी नहीं जा सकती है। कंस्ट्रक्शन के दौरान सारे नॉ‌र्म्स की अनदेखी की गई है।

सब्जीबाग

सब्जी बाग एरिया में छह से सात फीट की सड़क के दोनों तरफ पुरानी बिल्डिंग के अलावा नई बिल्डिंग हर दिन बन रही है। रेसिडेंसियल एरिया में होटल से लेकर कमर्शियल एक्टिविटी होते रहती है। ऐसे में अगर यहां एक भी बिल्डिंग गिरती है तो जानमाल का काफी नुकसान होगा।

बोरिंग केनाल रोड टू एएन कॉलेज

बोरिंग रोड चौराहा से लेकर एएन कॉलेज तक शहर दो से तीन बड़े अपार्टमेंट, पांच कमर्शियल बिल्डिंग है। लेकिन सड़क के दोनों तरफ जगह नहीं है कि लोग आसानी से कहीं खड़ा हो सके। हादसे में परेशानी हो सकती है।

भूतनाथ रोड

भूतनाथ रोड एरिया में हाउसिंग बोर्ड की सभी बिल्डिंग की स्थिति दयनीय है। किसी अनहोनी पर लोगों को बचा पाना आसान नहीं होगा, क्योंकि बिल्डिंग काफी पुरानी और जर्जर है। सामने एरिया में भी जलजमाव है। यहां सड़कों की स्थिति और भी खराब है।

सिटी एरिया

पटना सिटी के हर गली और नुक्कड़ में रेसिडेंसियल, कमर्शियल एक्टिविटी जोर-शोर से चल रहा है। हजारों पुरानी बिल्डिंग भी है। अगर भूकंप के झटके का असर बिल्डिंग पर होता है तो स्थिति काफी भयावह हो सकती है।