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PATNA : आतंकियों के लिए पटना सहित उत्तरी बिहार सेफ जोन बनता जा रहा है। बीते सोमवार को एटीएस पुलिस ने इस्लामिक स्टेट ऑफ बांग्लादेश के दो आतंकियों को पटना जंक्शन स्थित मदनी मुसाफिर खाना के पास से गिरफ्तार किया था। इनके पास से भारी मात्रा में आतंकी संगठन आईएसआईएस के पोस्टर और बैनर बरामद किए गए। आतंकियों का पटना कनेक्शन पहले से ही जुड़ा हुआ है। इससे पहले वर्ष 2013 में गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इस मामले में अजमेर पुलिस ने इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी जियाउर रहमान उर्फ वकास सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। लगातार आतंकी कनेक्शन जुडऩे के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि नेपाल बॉर्डर पास में होने के कारण आतंकियों के लिए आना और जाना बहुत आसान रहता है। वो लोग आम लोगों की तरह ट्रेन और बस में सफर करते हैं और अपने मंसूबे को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं।

सीमांचल आतंकियों के लिए पनाहगार

प्रधानमंत्री की रैली के बाद जब पुलिस ने जांच की तो पता चला कि पटना और उत्तरी बिहार में आतंक का गढ़ काफी मजबूत हो चुका है। उनके मजबूत होने के कारण ही भारी सुरक्षा के बावजूद भी रैली, सभा और स्टेशन पर ब्लास्ट करने में आतंकी कामयाब हो गए। इन घटनाओं की जांच में ये खुलासा हुआ था कि राज्य में आतंकवाद की जड़ें गहरी हो चुकी हैं। खासकर राज्य के सीमांचल और मिथिलांचल के इलाके आतंकवादियों की पनाहगाह बन गए हैं।

नेपाल से सटा है उत्तरी बिहार का सीमा

उत्तर बिहार की बात करें तो ये आतंकवादियों के छिपने की फेवरेट जगह है और आतंकवाद से इसका गहरा कनेक्शन भी है। दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और मोतिहारी सहित कई जिले आतंकवादियों के लिए पनाहगार साबित हो रहे हैं। इन जिलों से सटे कई जगहों पर भारत-नेपाल की खुली सीमा भी है। इस मार्ग से आतंकी बेरोकटोक आवाजाही करते हैं और उन्हें पकड़े जाने का भी खतरा नहीं रहता है।

होटल और लॉज का वेरीफिकेशन नहीं

पटना में आए दिन होटल और लॉज खुल रहे हैं। इन होटलों की जानकारी पटना पुलिस को नहीं होती है। इसके साथ ही यहां पर कोई भी बाहर से आकर बिना आई कार्ड दिखाए ठहर जाता है। ऐसे में कोई भी आतंकी बड़ी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो सकता है। ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि हर थाना क्षेत्र में पुलिस बारीकी से इसकी जांच करे।

मोतिहारी से हुई थी यासीन भटकल और हड्डी की गिरफ्तारी

भारत-नेपाल सीमा पर मोतिहारी से इंडियन मुजाहिदीन के यासीन भटकल व अब्दुल असगर उर्फ हड्डी को गिरफ्तार किया गया था। अब तक अब्दुल करीम उर्फ टुंडा सहित कई आतंकी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। वहीं, ब्लास्ट मामले में एनआइए द्वारा गवाह के तौर पर दरभंगा से हिरासत में लिए गए मेहरे आलम मुजफ्फरपुर के स्टेशन रोड स्थित होटल सिद्धार्थ के कमरा नंबर 110 से भाग निकला था।

अब तक की गिरफ्तारियां

20 जुलाई 2006 : मुंबई की एटीएस ने मधुबनी जिले के बासोपट्टी बाजार से मो. कमाल को मुंबई लोकल ट्रेन धमाके की संलिप्तता में गिरफ्तार किया था।

12 जनवरी, 2012 : दिल्ली विस्फोट के सिलसिले में दरभंगा के जाले थाना क्षेत्र में देवड़ा बंधौली गांव निवासी नदीम और नक्की को गिरफ्तार किया गया था।

25 मार्च 2019 : पटना जंक्शन से दो आतंकी गिरफ्तार किए गए। दोनों बंग्लादेश के रहने वाले हैं और भारत में आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए घूम रहे थे।

18 साल पहले हुई थी पहली गिरफ्तार

* वर्ष 2000 में बिहार के सीतामढ़ी जिले में पहली बार दो आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। पुलिस की इस कार्रवाई में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य मकबूल और जहीर की गिरफ्तारी की गई थी। इसके बाद जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए थे।

* साल 2006 में आतंकियों ने मुंबई की लोकल ट्रेन में बम ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया था। इसके सुरक्षा एजेंसियों की जांच में पहली बार बिहार के मधुबनी जिले का नाम आतंकी घटना में आया। तब बासोपट्टी के मोहम्मद कमाल को एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया था।

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