- राखी को लेकर मार्केट तैयार, जगह-जगह लग गया बाजार

- फैशनेबल राखियां हेल्थ के लिए हो सकती है हानिकारक

- चाइनीज राखी पहनने से हो सकती है लाल चट्टा व खुजली

PATNA: भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षा बंधन 29 को है। इस फेस्टिवल पर बाजार का रंग चढ़ गया है। ज्यादा मुनाफा व ज्यादा प्रोडक्ट बेचने के लिए उत्पादक आमलोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जिसमें हमारे पड़ोसी देश चीन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। पटना के बाजारों में बार चीन से बनी राखियों का दबदबा है। ऐसी राखियों में केमिकल, प्लास्टिक और पॉलिश स्टोन का उपयोग किया गया है। डॉक्टरों कहते हैं कि ऐसी राखियों को खरीदते समय इस बात का ख्याल रखें कि इसमें कोई हानिकारक चीजों का यूज न हुआ हो।

350 रुपए तक की नॉन मेटल राखियां

मार्केट में दस रुपए से लेकर 350 रुपए तक की राखियां उपलब्ध हैं। इनमें कुछ इंडियन ब्रांड एवं बड़ी संख्या में चाइनीज प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। मार्केट में मोरवाली राखी 40-60 रुपए, स्टोन वाली राखी 40-70 रुपए, मोतीवाला 20-150 रुपए तक उपलब्ध है। इसके अलावा इन्हीं क्वालिटी में हाई रेंज की कई वैरायटीज है, जो 350 रुपए तक उपलब्ध है। मार्केट में सोना-चांदी जड़ी हुई राखी भी डिमांड में है। ज्वेलर्स इसके लिए भी राखियां तैयार कर रहे हैं। इन राखियों का रेंज 150 रुपए से शुरू होती है।

बच्चों के प्यारे डोरेमन, छोटा भीम भी

मार्केट में बच्चों के लिए छोटा भीम राखी, मोटू-पतलू राखी, स्पाइडरमैन राखी, हनुमान राखी सहित कई राखियां उपलब्ध हैं। ये राखियां लाइटिंग व नॉन लाइटिंग दोनों प्रकार की हैं। ये 20 से 80 रुपए तक है। मार्केट में भाई-बहन ही नहीं, देवर भाभी के लिए भी राखियां उपलब्ध है। इसे लुबा राखी के नाम से जाना जाता है। इन राखियों को ननइ-भौजाई एक-दूसरे को चूडि़यों में बांधती हैं। ये राखियां 50-150 तक की रेंज में उपलब्ध हैं।

दूर परदेश भाई को भेजो मिनी राखी

जो बहनें अपने भाई से दूर हैं और राखी पर भाई के पास नहीं पहुंच पाती हैं, वे बाई पोस्ट राखी भेजती हैं। स्टोन आदि ताम-झाम वाले राखियों के स्थान पर सिंपल राखियां बहनें ज्यादा पसंद करती हैं। मौली, चावल, चंदन और मिश्री एक साथ पैक में है, जिसकी पैकिंग अच्छी होने से इसे सुरक्षित भेजना आसान है।

चाइना में प्रोडक्शन के लिए बेहतर माहौल है। मास स्केल में प्रोडक्शन होने से प्रोडक्ट कास्ट काफी कम होता है, जिससे चीनी प्रोडक्ट के सामने इंडियन नहीं टिक पा रह रहे हैं। इस कारण इंडिया के मार्केट को नुकसान होता है। इंडियन मार्केट में आने वाली इन चाइनीज राखी का अगर गवर्नमेंट सही तरीके से जांच करवाए, तो इसमें हेल्थ इश्यू के कई मामले सामने आएंगे।

-किसलय कश्यप, अस्टिेंट प्रोफेसर, निफ्ट पटना

इन दिनों लोगों में डिजाइनर राखियों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इस चक्कर में आमलोग तय नहीं कर पाते हैं कि मार्केट में मिलने वाली कौन सी राखियां नुकसानदेह हैं। बेहतर लुकिंग वाली राखियों में निकेल,स्टोन पॉलिशिंग के लिए कई प्रकार के केमिकल व प्लास्टिक का यूज होता है, जिससे डरमेटाइटिस सहित कई रोग हो सकता है। यह कलाई से पूरे बॉडी में फैल सकता है। इसमें लाल चट्टा, खुजली आदि होने लगती है। बरसात में नमी एवं पसीना के साथ रिएक्शन से कई अन्य तरह की परेशानी भी हो सकती है।

डॉ पंकज तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ स्किन, पीएमसीएच

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सिपंल रेशम धागे से बनी राखियां हैं सेफ

हमारे यहां रेशम धागे या कच्चे धागों से बनी राखियों के उपयोग की धार्मिक प्रथा है। राखियों को सुबह बांधना एवं शाम को खोल लेना चाहिए। कुछ लोग शौक से दो-तीन दिन दिनों तक पहने रहते हैं, इससे बचना चाहिए। डॉ पंकज ने बताया कि कच्चे धागे या रेशम से बनी सिंपल राखियों का ही उपयोग करें। सिल्वर या गोल्ड मेटल का उपयोग हो, तो इसका उपयोग किया जा सकता है। प्लास्टिक के धागे, पॉलिश स्टोन आदि वाले राखियों से बचना चाहिए।

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- कच्चे धागे या रेशम से बनी राखियों का ही यूज करें।

- पॉलिश स्टोन का उपयोग हेल्थ के लिए डेंजरस है।

- प्लास्टिक से बनी राखियां न पहनें।

- लाइट व म्यूजिक वाली राखियां भी सेफ नहीं हैं।

- राखियों को ज्यादा समय तक न बांधें।

- राखी के धागा को टाइट न बांधें।

- मौली को ज्यादा राउंड ने लपेटें।