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PATNA :  पटना में लोन के नाम पर ठगी के दर्जनों केस हर महीने विभिन्न थानों में दर्ज हो रहे हैं. ये ठग प्राइवेट बैंकों के बाहर मंडराते रहते हैं. जैसे ही परेशान लोगों को देखते हैं तत्काल उनसे संपर्क करते हैं और लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ आसानी से ठगी कर लेते हैं. स्थिति ये है कि पटना के बोरिंग रोड, कंकड़बाग, पत्रकार नगर सहित अन्य क्षेत्रों में फर्जी फाइनांस कंपनियां हैं जो लोगों के साथ ठगी कर भाग जाती हैं. इससे लोगों पर दोहरा भार पड़ता है. पहले से लोग अपनी मुसीबत से परेशान रहते हैं. इसके बाद ठगी होने से दोहरे दबाव को झेलते हैं. कई बार इस तरह की स्थितियों से निपटने में असमर्थ लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं.

घरों तक पहुंच रहे हैं ठग

ठग अब लोगों के खाते से पैसा उड़ाने के लिए लोगों के घर तक पहुंच जा रहे हैं. लोन दिलाने के नाम पर अपराधी दस्तावेज लेने के लिए लोगों के घर जाते हैं और कैंसिल चेक लेकर उनके खाते से लाखों रुपए उड़ा रहे हैं. पटना पुलिस के सामने ऐसे एक दर्जन से अधिक मामले पहुंच चुके हैं. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि प्राइवेट बैंक के नाम पर लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं.

 

ठग ऐसे फैला रखे हैं अपना जाल

कर्मियों को देते हैं अच्छी सैलरी : कंपनी खोलने से पहले ठग अखबार में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकालते हैं ताकि लोगों को फर्जी होने का संदेह न हो.

पॉश इलाके में ऑफिस : लोगों को आकर्षित करने के लिए पॉश इलाके में ऑफिस खोला जाता है. इससे लोग भ्रमित हो जाते और वहां पर आसानी से लोन मिलने के कारण चले जाते.

प्रोसेसिंग फीस के नाम पर एडवांस : जब लोग स्कीम से संतुष्ट हो जाते हैं तब प्रोसेसिंग फीस के नाम पर एडवांस में 5 हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक वसूला जाता है. इसके बाद उन्हें एक हफ्ते बाद मिलने के लिए बुलाया जाता है.

लोन के बारे में बताते कर्मचारी : लोन के लिए जब लोग फाइनांस कंपनी के ऑफिस जाते तो वहां पर उन्हें बकायदा एक टीम लोन के बारे में बताती है. इसके साथ इंस्टॉलमेंट के बारे में भी बताया जाता है.

एडवांस किश्त जमा कराया जाता है: एक सप्ताह बाद जब व्यक्ति लोन लेने के लिए जाते हैं तब उन्हें चेक दिखाया जाता है. फिर कहा जाता है कि पहला इंस्टॉलमेंट एडवांस में जमा करिए.

जारी कर दिया जाता है चेक : एडवांस इंस्टॉलमेंट लेकर कंपनी द्वारा चेक जारी कर दिया जाता था. जब वो बैंक में उस चेक को जमा करने जाता तब चेक बाउंस हो जाता और जब वो लोग कार्यालय में संपर्क करते हैं तो कंपनी द्वारा आजकल करके लोगों को घुमाया जाता था.