Paush Purnima 2020 : पौष मास की पूर्णिमा से माघ मास की पूर्णिमा तक माघ स्नान किया जाता है। इस वर्ष पौष पूर्णिमा 10 जनवरी को है। वैसे तो माघ स्नान का महत्व प्रयागराज में है क्योंकि महाभारत में कहा गया है कि माघ मास की अमावस्या को 3 करोड़ 10 हजार तीर्थों का समागम होता है। प्रयाग के अतिरिक्त हरिद्वार तथा अन्य पवित्र तीर्थों एवं नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। यह कहा गया है कि माघ मास में व्रत, दान और तपस्या से भी भगवान विष्णु को उतनी प्रसन्नता नहीं होती है, जितनी कि माघ मास में स्नान करने से। इसलिए सभी पापों से विमुक्ति के लिए तथा भगवान वासुदेव की प्राप्ति के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।



सूर्योदय से पूर्व करना चाहिए स्नान

यदि आप सम्पूर्ण मास में स्नान न कर सकें तो तीन दिन अथवा एक दिन माघ स्नान व्रत करना चाहिए। जो मनुष्य चिरकाल तथा स्वर्गलोक में रहना चाहते हैं, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर अवश्य तीर्थ स्नान करना चाहिए। माघ मास में स्नान सूर्योदय से पूर्व कर लेना चाहिए जो एक बार भोजन करता है वह अगले जन्म में अपने कुटुम्बी जनों में महत्व प्राप्त करता है।

तिल व कम्बल का दान में विशेष महत्व
माघ मास में दान का विशेष महत्व है। दान में तिल और कम्बल से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। महाभारत के अनुसार कहा गया है कि माघ मास में ब्रह्मणों को जो तिल दान करता है, वह समस्त जन्तुओं से भरे हुए नर्क का दर्शन नहीं करता। माघ मास की पूर्णिमा पर पुराणों का दान करना चाहिए। पुराणों का दान करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

-ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय

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