- 30 जून 2018 को लम्बित मुकदमों की संख्या 2.66 लाख पार

- सूचना के अधिकार में मिली जानकारी

देहरादून, नैनीताल हाई कोर्ट व उसके अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित मुकदमों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 30 जून 2018 को लंबित मुकदमों की संख्या 2.66 लाख थी। यह आंकड़ा जनवरी 2015 से जून 2018 तक यानि साढ़े तीन साल की अवधि का है। इस प्रकार से लंबित केसों की संख्या में 58 प्रतिशत वृद्धि बताई गई है। यह जानकारी सूचना अधिकार में कार्यकर्ता नदीमुद्दीन को हाई कोर्ट नैनीताल के लोक सूचनाधिकारी द्वारा मिली।

साढ़े 3 साल में 2.66 लाख केस पेंडिंग

काशीपुर निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमुद्दीन ने हाई कोर्ट के लोक सूचना अधिकारी से केसों के निपटारे सम्बन्धी सूचना मांगी थी। जवाब में हाई कोर्ट के राज्य लोक सूचना अधिकारी रमेश चन्द्र कांडपाल ने जून 2018 तक के केसों का निपटारे संबंधी स्टेटमेंट की सूचना उपलब्ध करायी है। मिली जानकारी के अनुसार 30 जून 2018 को उत्तराखंड के न्यायालयों में लंबित केसों की कुल संख्या 2 लाख 66 हजार 171 थी।

इस तरह के हैं केस

-1 लाख 22 हजार 159 अपराधिक मामले।

-46,272 दीवानी संबंधी मामले।

हाई कोर्ट में लंबित केस

- 32, 338

- 21206 दीवानी

- 11133 आपराधिक

अधीनस्थ न्यायालयों में मामले

- 2,33, 833

- 34549 दीवानी

- 1,99, 284 आपराधिक

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-आरटीआई कार्यकर्ता को मिली सूचना के तहत पूर्व में उपलब्ध सूचना के अनुसार 2014 के अंत में उत्तराखंड में कुल लंबित केसों की संख्या 1, 68, 431 थी, जो 2015 के अंत में 14.76 प्रतिशत बढ़कर 1,93,298 हो गई।

-2016 के अंत में यह संख्या 2014 के अंत व 2015 के प्रारम्भ की तुलना में 32.37 प्रतिशत बढ़कर 2,22,922 हो गई।

-2017 के अंत में यह संख्या 42.52 प्रतिशत बढ़कर 2,10018 हो गई।

- 30 जून 2018 को लम्बित केसों की संख्या वर्ष 2015 के प्रारम्भ की तुलना में 0.58 प्रतिशत बढ़कर 2 लाख 66 हजार 171 पहुंच गई।

-दीवानी मामलों की अपेक्षा लम्बित अपराधिक मामलों में अधिक बढ़ोत्तरी हुई है।

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11 में से 8 न्यायाधीश हाई कोर्ट में

सूचना के मुताबिक हाई कोर्ट में 11 न्यायधीशों के स्वीकृत पद हैं, जबकि केवल 8 न्यायधीश जून 2018 के अंत में कार्यरत थे। 3 न्यायधीशों के पद रिक्त हैं। अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों के उत्तराखंड में 292 स्वीकृत पद हैं, जिसमें केवल 228 न्यायिक अधिकारी ही जून 2018 के अंत में कार्यरत थे। कुल न्यायिक अधिकारियों के 22 प्रतिशत 64 पद रिक्त थे।

हाई कोर्ट में लंबित मामलों कम बढ़ोत्तरी

हाईकोर्ट में लम्बित केसों की संख्या में अधीनस्थ न्यायालयों की तुलना में कम बढ़ोत्तरी हुई है। 2015 के प्रारम्भ की तुलना में जून 2018 के अंत में लम्बित कुल केसों की संख्या में 39.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उच्च न्यायालय में 2014 के अंत व 2015 के प्रारम्भ में लम्बित कुल केसों की संख्या 23105 थी, जो 2015 के अंत में 15.47 प्रतिशत बढ़कर 26680 हो गई। 2016 अंत में यह संख्या 38.52 प्रतिशत बढ़कर 32004 हो गई, जबकि 2017 के अंत में इसमें कमी आयी और यह सख्या 30022 रह गई तथा जून 2018 के अंत में 39.96 प्रतिशत बढ़कर 32338 हो गई। हाई कोर्ट में 2016 की तुलना में लम्बित केसों की संख्या में 2017 के अंत में 1982 केसों की कमी आयी है।