-थानों में 40 परसेंट केस हैं पेंडिंग, सॉल्व करने के लिए हर थाना में ओपन होगी यूनिट

- क्राइम ब्रांच हेड और इंस्पेक्टर यूनिट को करेंगे लीड

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बरेली : डिस्ट्रिक्ट के 29 थानों में तीन साल में पांच हजार केस दर्ज हुए उनमें 60 परसेंट मामले का निपटारा हुआ। जबकि चालीस परसेंट केस आज भी पेंडिंग हैं। जिसकी वजह से फरियादी एसएसपी ऑफिस और थानों के चक्कर काटने को मजबूर है। वहीं पुलिस ने जिन मामलों को निपटारा किया है, उनमें ज्यादातर मारपीट और जानलेवा धमकी वाले केस हैं। इसी के चलते शासन के आदेश पर डिस्ट्रिक्ट के हर थानों में इंवेस्टिगेशन यूनिट ओपन की जाएगी। जिसमें सभी मामलों का निपटारा किया जाएगा। ताकि पीडि़त को जल्द ही न्याय मिल सके ।

क्राइम ब्रांच ने सुलझाए कई केस

थाने की पुलिस केवल कानून-व्यवस्था और नाइट गश्त तक ही सीमित रह गई है। शहर के किसी भी इलाके में चोरी, चेन स्नैचिंग या लूट की वारदात होने पर थाने में केवल अपराध दर्ज करने की खानापूर्ति की जाती है। उसके बाद पूरा केस क्राइम ब्रांच को सौंपकर थाना पुलिस छुट्टी पाती है। तीन सालों में बदमाशों ने लूट, डकैती और हत्याओं की वारदात को अंजाम को देखकर बरेलियंस के जहन में खौफ पैदा कर दिया था। बदमाशों ने किच्छा के सरिया फैक्ट्री मालिक के ड्राइवर से 51 लाख की लूट, टॉप कैरेटे ज्वैलरी शोरूम में करोड़ो की डकैती, हाफिजगंज में जायसवाल बैट्री के मुनीम से पांच लाख की लूट और प्रेमनगर के शास्त्रीनगर में एसआई के घर में डकैती की घटना को अंजाम दिया था। इन मामलों में क्राइम ब्रांच ने बदमाशों को गिरफ्तार कर घटना का खुलासा किया है।

शातिर ठगों से आगे बेबस

डिस्ट्रिक्ट में तीन साल 439 मामले बैंक और एटीएम फॉड के दर्ज हैं। बावजूद पुलिस किसी भी आरोपित पर गिरफ्तार नहीं कर सकी है। वजह साइबर ठगी की एफआईआर संबंधित थाने में दर्ज होती है लेकिन यहीं से केस डंप हो जाता है। या फिर थानों की पुलिस कुछ पर्चे काटकर एफआर लगा दी जाती है क्योकि उसके पीछे कई वजह बताई जाती हैं, वहीं केस की विवेचना कर रहे एसआई कहते हैं कि जांच में आया कि ठग झारखंड, कर्नाटक व अन्य राज्य के हैं, जहां जाना मुश्किल है।

तीन साल में इतने मामले हुए दर्ज

हत्या 90

रेप 195

छेड़खानी 1169

अपहरण 1248

घरेलू हिंसा 1389

चैन स्नैचिंग 07

दहेज हत्या 163

एसीएसटी एक्ट 646

धोखाधड़ी 439

पॉक्सो एक्ट 535

टोटल 5881

से करेगी काम यूनिट

निट के नोडल अफसर एसएसपी के अधीन एक इंस्पेक्टर होंगा। इंस्पेक्टर का काम अपने नीचे वाली इकाइयों के कार्यो पर नजर रखने की होगी। यूनिट में दो-दो सब इंस्पेक्टर रैंक के अफसर की तैनाती होगी। कोर्ट से निकलने वाले वारंट से लेकर समन या फिर अन्य कागजातों को संबंधित थानों तक पहुंचाने से लेकर समय से गवाही सुनिश्चित कराना इनकी जबावदेही होगी। कोर्ट में तैनात अधिकारी लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के संपर्क में रहेंगे। गलत गवाही देने वाले पुलिस वालों के खिलाफ भी यह टीम ही रिपोर्ट करेगी। थाने से कोर्ट के लिए तैनात अधिकारी भी इस टीम के लगातार संपर्क में रहेंगे।

ाने में नियुक्त होंगे नोडल अफसर

र थाने में एक कोर्ट नोडल अफसर की नियुक्ति होगी। नोडल अफसर बनाए गए पुलिस अफसर अपने.अपने थाने के अन्य मामलों में वांरट से लेकर कुर्की, इश्तेहार या फिर अन्य आदेश लेने के लिए अनुरोध पत्र कोर्ट तक पहुंचाएंगे। यहां से मिलने वाले आदेश को भी थाने तक ऐसे ही पुलिस अधिकारी पहुंचाकर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कराएंगे। अभी तक हर खुद ही कोर्ट जाकर अपने-अपने मामलों में कागजी कार्रवाई पूरी करते थे।

वर्जन

शासन के आदेशानुसार थानों में पेडिंग विवेचनाओं को निपटाने के लिए इंस्वेस्टिगेशन यूनिट तैयार की जा रही है। थानों में आने वाले सभी मामलों का यूनिट के जरिए निपटारा कराया जाएगा। इसके अलावा यूनिट पर निगरानी की जाएगी।

डॉ। संसार सिंह, एसपी देहात