राहत शिविरों में रह रहे लोग अपने घरों की सुरक्षा को लेकर हैं परेशान

वहीं शिविरों में परोसा जा रहा है घटिया क्वालिटी का भोजन

ALLAHABAD: गंगा और यमुना के कछारी इलाकों में रह रहे लोग अपनी जान बचाकर किसी तरह बाढ़ राहत शिविरों में तो पहुंच गए हैं। लेकिन घरों की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं। डर-डर के रात बिता रहे हैं। वहीं घटिया भोजन दिए जाने से भी परेशान हैं। रविवार को कुछ राहत शिविरों में घटिया क्वालिटी का भोजन बांटा गया है। जिससे लोग नाराज हैं।

नाव वाले वसूल रहे हैं पैसा

एडमिनिस्ट्रेशन ने बाढ़ क्षेत्र में फंसे लोगों को निकालने के लिए जहां नाव लगा रखे हैं। वहीं नाव वाले भी मौके का जमकर फायदा उठा रहे हैं। कुछ इलाकों में लोगों को ले आने और ले जाने के साथ ही घर से बाहर निकालने के नाम पर पैसा लिया जा रहा है। पत्रकार कॉलोनी में रहने वाले कुछ लोगों ने बताया कि कॉलोनी से सड़क तक आने के लिए उन्हें 50 रुपये प्रति फेरा नाव वाले को देना पड़ रहा है।

सब्जी में बीड़ी का टुकड़ा व तंबाकू

बाढ़ राहत शिविरों में मौजूद लोगों को एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से सुबह नाश्ता और दोपहर व रात को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। दिन में तहरी व रात में पूड़ी-सब्जी का पैकेट दिया जा रहा है। लेकिन भोजन बनाने में लापरवाही बरती जा रही है, जिसकी शिकायत बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे लोगों की ओर से की जा रही है। रविवार को अशोक नगर स्थित स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज बाढ़ राहत शिविर में घटिया भोजन बांटा गया। जिसे लोगों ने खाने के बजाय फेंक दिया गया। लोगों का कहना था कि उन्हें दिन में जब तहरी मिली तो तहरी में जली हुई बड़ी के टुकड़े व तंबाकू मिले हुए थे, जो काफी बदबू कर रहे थे। जिसके बाद भोजन को फेंक दिया गया।

बाल-बाल बचे ऋषिकुल के लोग

नेवादा इलाका में पानी भरने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने ऋषिकुल स्कूल में अपना आशियाना बना रखा है। जगह न मिलने की वजह से कुछ लोगों ने ऋषिकुल स्कूल के मैदान में ही टेंट बना लिया था। सोमवार को दोपहर के समय इसी टेंट के पास स्थित एक पुराना पेड़ अचानक गिर पड़ा। जिससे टेंट में रह रहे लोग बाल-बाल बच गए।

राहत शिविर में हमें खाना तो मिल रहा है, लेकिन छोटे-छोटे बच्चों को दूध नहीं पिला पा रहे हैं। क्योंकि दूध खरीदने के लिए एक तरफ जहां पैसे नहीं हैं। वहीं प्रशासन की तरफ से केवल एक छोटा पैकेट दूध दिया जा रहा है। जो तुरंत खत्म हो जा रहा है।

सरिता देवी, अशोक नगर नेवादा

बाढ़ के कारण हम अपना घर छोड़ कर जान बचा कर तो चले आए हैं, लेकिन सारा सामान घर में ही पड़ा है। चोरों की वजह से जान अटकी पड़ी है कि कहीं सामान चोरी न हो जाए।

मोहन लाल, नेवादा

रातों रात घर छोड़ कर भागना पड़ा। गृहस्थी का आधा से ज्यादा सामान तो घर पर ही पड़ा है। जो पानी में खराब हो गया होगा। बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है। प्रशासन अगर नुकसान का मुआवजा दे तो कुछ बात बने।

गीता देवी

भोजन का पैकेट तो दिया जा रहा है, लेकिन खाना बहुत ही खराब है। रविवार को तो ऐसा खाना मिला, जिसे हम सब ने फेंक दिया। खाने के पैकेट में बीड़ी के टुकड़े पड़े थे। प्रशासन को इस तरह की लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

विजय लक्ष्मी

जान बचा कर तो हम यहां चले आए हैं, लेकिन हमारी जान हमारे घरों में अटकी पड़ी है। जहां चोरी का खतरा बना हुआ है। प्रशासन को सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने चाहिए।

रानू देवी कुशवाहा