लोग फायदे नहीं जानते

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अथक प्रयास कर रहे है। ऐसे में अभी हाल ही में उन्होंने स्वर्ण मौद्रीकरण योजना को हरी झंडी दिखाई थी। ऐसे में रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने इस योजना के एक पखवाड़े बाद इस पर चर्चा की। जिसमें इसके परिणाम कुछ खास नहीं दिखे। यह योजना लोगों के बीच फिलहाल कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाई। उद्योग निकाय जीजेईपीसी का कहना है कि अभी तक इस योजना के तहत महज 400 ग्राम सोना ही जमा हुआ है। लोग अभी भी इस योजना के लिए बढकर आगे नहीं आ रहे है। वहीं सूत्रों का कहना है कि इस स्वर्ण मौद्रीकरण योजना को लेकर अभी इतनी जागरुकता नहीं हुई और ना ही लोग इसके फायदे जानते है। जिससे वे अपनी सोने जैसी कीमती धातु पर जल्दी कोई रिस्क नहीं चाहते हैं।

बाजार में लाने की कोशिश

वहीं आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि इस योजना का मकसद देश में घरों एवं मंदिरों में बिना उपयोग के पड़े सोने को बाजार में लाना है। वर्तमान में 52 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 20,000 टन सोने को बाजार में लाने की कोशिश है। बतातें चलें कि अभी हाल ही में लागू हुई इस योजना में सोने को बैंक में रखकर उस पर ब्याज का लाभ पाया जा सकता है। सबसे खास बात तो यह है कि जमा अवधि पूरी होने पर मूल सोने और उसके ब्याज को उस समय के सोने के मूल्य के हिसाब से माना जाएगा। ऐसे में जमाकर्ता चाहे तो उतने ही मूल्य का सोना ले या फिर रुपये हासिल कर ले यह उसकी मर्जी पर निर्भर करेगा। बैंक में न्यूनतम 30 ग्राम सोना जमा करना होगा। इसमें सोने के सिक्के, बिस्कुट और गहने आदि जमा किए जा सकते हैं।

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