- कैंट बोर्ड में लगातार आ रही हैं जर्जर मकानों की शिकायतें

- पिछले तीन सालों में 150 से अधिक शिकायतें

- 50 फीसदी को भी रिपेयरिंग की नहीं मिली परमीशन

- कैंट बोर्ड में लगातार आ रही हैं जर्जर मकानों की शिकायतें

 

 

Meerut : यहां की हालात भयावह है। अगर जल्द ही उपाय नहीं किए गए तो जरा सा भूकंप का झटका या फिर मानसून की तेज बारिश मेरठ में 'नेपाल त्रासदी' दोहरा सकती है। जी हां, यहां बात हो रही है मेरठ के जर्जर मकानों की। ऐसे मकान जिसमें रहने से लोगों को डर लगता है। कैंट बोर्ड के पास जर्जर मकानों को लेकर कई शिकायतें पहुंची हैं। यही हाल रेलवे रोड स्थित रौनकपुरा का है, लेकिन बार-बार गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

 

दस दिनों में 30 शिकायत

अगर पिछले दस दिनों की बात करें तो जर्जर मकानों से रिलेटिड 30 शिकायतें लेकर पब्लिक कैंट बोर्ड के ऑफिसर्स के पास जा चुकी है। जिनमें से अधिकतर शिकायतें लालकुर्ती, रजबन, तोपखाना और सदर इलाकों की हैं। लोगों की मानें तो मकानों की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि कभी भी बिल्डिंग अपने आप गिर सकती है। इसके बाद भी अधिकारी इस बारे में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

 

तीन सालों में 150 से अधिक

वहीं पिछले 3 सालों की बात करें तो जर्जर मकानों की मरम्मत के लिए 150 से अधिक शिकायतें कैंट बोर्ड के अधिकारियों के पास पहुंच चुकी हैं। जिनमें से 50 फीसदी को भी मरम्मत की परमीशन नहीं दी गई है। जिससे लोगों को और भी ज्यादा दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। लालकुर्ती मैदा मोहल्ले में रहने वाले राजेश की मानें तो पिछले दो महीने में कई बार कैंट बोर्ड को ओरल और एक बार लिखित में शिकायत कर चुका हूं। लेकिन मुझे अभी तक लिखित में परमीशन नहीं मिली है।

 

मानसून और भूकंप का डर

पिछले महीनों नेपाल भूकंप त्रासदी को कौन भूल सकता है। जहां हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और लाखों लोगों को अपने घर से बेघर होना पड़ा। ऐसे में मेरठ कैंट के लोगों में काफी डर बैठा हुआ है। मानसून सिर पर है। कभी तेज बारिश मकानों को ढहा सकती है। वहीं भूकंप का भी कोई भरोसा नहीं है। अब सवाल ये है कि क्या कैंट बोर्ड के अधिकारी किसी हादसे होने का तो इंतजार नहीं कर रहे हैं।

 

पिछले कई सालों से नहीं हुआ सर्वे

कैंट एक्ट में प्रोविजन भी है कि साल में एक बार जर्जर मकानों की गणना के लिए सर्वे किया जाएगा, लेकिन पिछले पांच सालों से इसको लेकर कोई सर्वे नहीं किया गया। न ही ऐसे मकान मालिकों को नोटिस ही दिया गया। कैंट बोर्ड के रिकॉर्ड के अनुसार कैंट ब्800 से अधिक स्ट्रक्चर हैं। जिनमें से दस से क्भ् फीसदी मकान गिरने की हाल में है। इनमें कई स्ट्रक्चर तो बंगलों के भी हैं।

 

ऑफिशियल स्टैंड

जिन लोगों की एप्लीकेशन आई हैं उनका निरीक्षण कराकर परमीशन दी जाएगी। ऐसा नहीं है कि पहले परमीशन नहीं दी गई। लेकिन मुख्य अलॉटी या मालिक हैं उन्हीं को परमीशन दी जाती है।

- एमए जफर, पीआरओ, कैंट बोर्ड

 

 

कैंट के इलाकों में काफी पुराने मकान बने हुए हैं। बोर्ड के गठन के तुरंत बाद ही ऐसे मकानों का सर्वे कर उन्हें नोटिस दिया जाएगा। साथ जिन लोगों ने परमीशन मांगी हुई है उन्हें ठीक कराने की परमीशन भी दी जाएगी।

- बीना वाधवा, निर्वाचित सदस्य, कैंट बोर्ड

 

कैंट में 90 फीसदी मकान ऐसे हैं जिनमें चेंज ऑफ पर्पस, अवैध निर्माण और सब डिविजन है। इसके बाद भी मकान काफी बुरी स्थिति में हैं। इसके बाद भी ऐसे लोगों के मकानों को दुरुस्त कराने की लड़ाई लड़ी जाएगी।

- अनिल जैन, निर्वाचित सदस्य, कैंट बोर्ड

 

 

फैक्ट एंड फिगर

- पिछले 5 सालों में जर्जर स्ट्रक्चर को लेकर कोई सर्वे नहीं हुआ।

- पिछले 10 दिनों में 30 शिकायतें कैंट बोर्ड में पहुंची।

- पिछले 3 सालों में 150 से अधिक शिकायत आ चुकी हैं।

- भ्0 फीसदी शिकायतों का भी नहीं हुआ निस्तारण।

- पूरे कैंट के सिविल एरिया में बने हुए हैं 4800 स्ट्रक्चर।

- जिनमें से 10 से 15 फीसदी स्ट्रक्चर जर्जर हालत में हैं।