ऐसी है जानकारी

अब यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि ऐसा क्यों होगा। इसके साथ ही इसका असर क्या होगा। इस मुद्दे पर शहरी मामलों के विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की। उन्होंने ये बताया कि स्मार्ट सिटी के पूरे मॉडल को पूरे विश्वभर में अपनाया जा रहा है। इसमें मिलने वाली सुविधाओं के लिए लोगों को अतिरिक्त चार्ज भी देना होगा। इसको लेकर अर्बन डेवलपमेंट सेक्रेट्री रह चुके एम रामचंद्रन कहते हैं कि सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी में 24 घंटे बिजली-पानी, सीवर, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की बेहतरीन सुविधाएं देने का वादा किया गया है।

करना होगा अतिरिक्त भुगतान

ऐसे में इन सुविधाओं के लिए लोगों को अतिरिक्त भुगतान तो करना ही होगा। उन्होंने बताया कि ज्यादातर शहरों में मेंटीनेंस के लिए हम पैसे नहीं चुकाते हैं। इसी वजह से पूरा का पूरा स्ट्रक्चर बेकार होता जा रहा है। उदाहरण के तौर पर आप ले लीजिए कि कई शहरों में वॉटर वर्क्स बने हैं। इसके बावजूद पैसा न होने के कारण उसे चलाया ही नहीं जा पा रहा है। ऐसे में लगता है कि अब समय आ गया है कि अर्बन लोकल बॉडी अब स्मार्ट प्लानिंग कर ले। इस तरह से उनको बताना होगा कि चीजों को यथावत मेनटेन रखने के लिए रेवेन्यू कहां से आएगी।

बताया प्रोजेक्ट का खराब पहलू

वहीं इसको लेकर अर्बन मामलों के जानकार व हैजार्ड सेंटर के डायरेक्टर दुनु रॉय कहते हैं कि स्मार्ट सिटी का सबसे खराब पहलू यही है। उनका कहने का मतलब ये है कि अगर लोगों से यूजर या बेनिफिशियरी के नाम पर चार्ज वसूला जाता है, तो इसका मतलब है कि जिनके पास जितने ज्यादा पैसा है, वे आम शहरों से हटकर इन स्मार्ट सिटी में आकर रह सकते हैं। उनके अनुसार सरकार की स्मार्ट सिटी की परिकल्पना किसी अमीर हाउसिंग सोसायटी की तरह है।

डीडीए के पूर्व प्नालिंग कमिश्नर कहते हैं

उधर, दूसरी ओर अर्बन प्लानिंग के विशेषज्ञ डीडीए के पूर्व प्नालिंग कमिश्नर एके जैन कहते हैं कि ये तो सुनने में आ गया कि स्मार्ट सिटी में यूजर चार्ज वसूला जाएगा। इसके बावजूद अभी ये नहीं मालूम चल सका है कि ये कितना होगा। केंद्र सरकार इस तरह के संकेत देकर राज्यों व अर्बन लोकल बॉडी को यह जताना चाहती है कि वह तय शेयर से अधिक पैसा नहीं देंगे। उन्हें अपने लिए पैसों का इंतजाम खुद करना होगा। इसको लेकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वैंकेया नायडू की राय है कि स्मार्ट सिटी में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि वो स्मार्ट हों। उनको ये बात समझनी होगी कि जिन सुविधाओं को वे हासिल कर रहे हैं, उसका अतिरिक्त भुगतान करके वे उन सुविधाओं को यथावत हमेशा पा सकते हैं।

ये जरूरी है प्लान के लिए

प्लान के लिए ये भी जानना बेहद जरूरी होगा कि अब सभी 100 शहरों के बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी। इस प्रतियोगिता के लिए लोगों को अपने-अपने शहर का स्मार्ट सिटी प्लान केंद्र सरकार को भेजना होगा। इतना ही नहीं प्लान में प्रोजेक्ट के संग इस बात को भी बताना होगा कि शहर अपने लिए रेवेन्यू कैसे जेनरेट करेंगे।

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