करप्शन पर नहीं चल पा रही सरकार की कैंची

करप्शन से हर कोई छुटकारा चाहता है। जनता को जिससे भी उम्मीद नजर आई कि वह इस बीमारी के खिलाफ खड़ा हो सकता है उसको गद्दी पर बैठाया। यूपीए की सत्ता में घोटालों की खबरों से तंग होने के बाद बड़ी उम्मीद से जनता ने मोदी सरकार को सत्ता की चाबी सौंपी, लेकिन वक्त के साथ ही जनता की उम्मीदें टूट रही है। आई नेक्स्ट के एक्सक्लूसिव सर्वे में जानिए बरेलियंस की राय----

सुविधा शुल्क देना अब आदत सी बन चुकी है

>BAREILLY:

करप्शन फ्री सिस्टम का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार को एक साल का वक्त हो चुका है, लेकिन जो जैसा था वैसा ही चल रहा है। यह कहना है विमल लमखेड़ा का। वह कहते हैं कि आरटीओ में बिना रिश्वत दिए आसानी से काम नहीं होता। डेथ-बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए निगम जाइए, तो वहां भी हालात कुछ ऐसे हैं। कुल मिलाकर जिस काम के जो रेट फिक्स कर रखे हैं, वह उसी तरह ही बदस्तूर जारी है। कोई शिकायत होती है तो कुछ दिन के लिए चीजें ठीक होती हैं, फिर उसी पटरी पर पहुंच जाती है।

सर्वे में भी निराश नजर आए लोग

विमल जैसी ही निराश आई नेक्स्ट के सर्वे में भी निकलकर आई है। बरेली के लोगों से जब करप्शन पर राय ली तो करीब ब्क् प्रतिशत लोगों ने कहा कि करप्शन में कोई कमी नहीं आई है, जबकि ख्म् प्रतिशत लोग तो उम्मीद ही छोड़ चुके हैं। इनका कहना है कि करप्शन को कम कर पाना अब असंभव सा लगता है। सिर्फ छह प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि करप्शन में काफी कमी आई है।

कोशिश अच्छी पर राहत कम

बरेली में करप्शन पर शिकंजा कसने के लिए 'से नो टू करप्शन' एसएनटीसी सेल भी बनाई गई थी। लोगों ने प्रशासन की इस कोशिश को अच्छा बताया, लेकिन वहीं यह भी कहा कि इससे राहत ज्यादा नहीं मिल पाई है। एसएनटीसी द्वारा ख्फ् फरवरी से ख्ख् मई तक टोटल 9फ्09 लोगों को कॉल कर करप्शन के बारे में पूछा गया, जिसमें से 7भ् शिकायतें मिली। आरटीओ, नगर निगम, एडीए, बिजली विभाग जैसे कई विभाग से जहां पर लोगों का कहना है कि बिना सुविधा शुल्क के काम करवाना बेहद मुश्किल होता है।

कुछ ही दिन पहले बिजली विभाग मैं अपना बिल ठीक करवाने गया था। लेकिन, विभाग ने बाबू ने मुझसे बिल के अलावा एक्स्ट्रा सौ रूपए मांगे, मैंने उसको नहीं दिया। जिसके चलते मुझे काफी परेशान होना पड़ा।

सतेंद्र पटेल, आजादनगर

बिना पैसे दिए आज कल कोई काम नहीं हो रहा है। मैं कई बार इसका शिकार हो चुका हूं। एक ही काम के लिए कर्मचारियों द्वारा इतना दौड़ा दिया जाता है कि, पूछिए मत।

विजय पटेल, लमखेड़ा

उपर से लेकर नीचे तक सब लोग मिले रहते है। जिसके चलते कोई काम बिना पैसे का नहीं होता है। यदि, अधिकारी खुद स्ट्रांग रहे तो कर्मचारी कभी पैसे की डिमांड नहीं करेंगे।

यशपाल, आजादनगर

पिछले एक साल में करप्शन में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। सरकार कोई भी रहे लोगों को खुद सामने आना होगा। नहीं तो, करप्शन का खेल कभी खत्म नहीं हो सकता।

अभि मेहता, रामपुर गार्डेन